कुछ तुम बढ़ो कुछ हम बढ़ें
“गीत ”
कुछ तुम बढ़ो ,
कुछ हम बढे।
जिंदगी को नया, एक आयाम दें।
फांसले बीच जो , अब उन्हें त्याग दें।।
आओ मिलकर के दोनों ,इक आवाज़ दें।
दिल के तारों को सरगम का साज़ दें।।
कुछ तुम बढ़ो ,
कुछ हम बढे।
जिंदगी को नया, एक आयाम दें।
फांसले बीच जो , उन्हें त्याग दें।।
डालकर प्यार की आहुतियां ,
करें कोई ऐसा अनोखा हवन।
समिधा लगाएं तेरे नाम की –
स्नेह के घृत का हो आचमन।।
तेरी खुशबु से महके –
मेरे मन का चमन।
हो खुशियों में शामिल –
ये धरा ये गगन।।
नए सफर की नयी सुबह को –
एक नया आगाज़ दें।
कुछ तुम बढ़ो ,
कुछ हम बढे।
जिंदगी को नया, एक आयाम दें।
फांसले बीच जो , उन्हें त्याग दें।।
तुम पहनो चुनरिया मेरे नाम की।
में माला फिराऊँ तेरे नाम की।.
मिलन हो हमारा –
बने हम सहारा।
गगन के फलक पर –
घर हो हमारा।।
हीर -रांझा ,शीरीं-फरहाद भी नहीं –
प्यार को एक नया नाम दें।
कुछ तुम बढ़ो ,
कुछ हम बढे।
जिंदगी को नया, एक आयाम दें।
फांसले बीच जो , उन्हें त्याग दें।।