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4 Jun 2018 · 1 min read

कुंतल हुए सफेद

नहीं बुढापे का मुझे , …रत्तीभर भी खेद !
किन्तु वक्त के पूर्व ही, कुंतल हुए सफेद !!

दरिया में जब भी कभी , आया है मँझधार !
तब उसने खुद नाव की, दी मुझको पतवार !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 232 Views
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