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25 Feb 2017 · 4 min read

#भारतरत्न बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर छियासी

#श्री आंबेडकर जी छियासी

दोहे
मानवता का नूर बन,लिया अमर अवतार।
बाबा साहिब भीम की,कोटि-कोटि जयकार।।

ज्ञान आन की चेतना,रीति-नीति सुलतान।
शक्ति शील की प्रेरणा,बाबा आप महान।।

चौपाइयाँ
जय – जय भीमराव जी ज्ञानी।
दी संविधान महा निशानी।।
सबके हित कानून बनाए।
कानूनी मंत्री कहलाए।।

संगठित बनो शिक्षा पाना।
संघर्ष नहीं कभी भुलाना।।
तीन मंत्र ये दिये ज़रूरी।
हर्षित जीवन के हैं धूरी।।

जय – जय भीमराव जी बाबा।
ज्ञान बिना क्या काशी काबा।।
वचन तुम्हारे जीवन धारें।
नमन करें हम तुम्हें पुकारें।।

तुमने शिक्षा अलख जगाई।
बढ़ने की है राह बताई।।
तुमसा हमको जीना आए।
रोम – रोम में तू बस जाए।।

नेक कर्म के तुम हो दाता।
गान तुम्हारे जग है गाता।।
पाखंड तुम्हें नहीं सुहाए।
सच्चाई उर चित को भाए।।

अधिकारों का पाठ पढ़ाया।
शिक्षा सबका हक बतलाया।।
समता क्षमता तुमको प्यारी।
रीत यही बस रहे हमारी।।

जाति धर्म का गीत भुलाया।
मेहनत हृदय मीत बनाया।।
छुआछूत के बंधन तोड़े।
हीन भाव के मातम छोड़े।।

लाचारी को हार सिखाई।
हिम्मत की हो जीत बताई।।
आम नहीं थे एक मसीहा।
विष को अमृत बनाकर पीया।।

तुमसा कौन हुआ बलिदानी।
नहीं जगत् में कोई सानी।।
पत्नी पुत्रों को भी खोया।
बाबा मन विचलित ना होया।।

रहे अडिग बन धुन के पक्के।
छुड़ा दिए संकट के छक्के।।
रोम – रोम कर्मों की पूजा।
तेरे जैसा हुआ न दूजा।।

कुशल अर्थशास्त्री विधिवेत्ता।
महा समाज सुधारक नेता।।
हो भारत गणराज्य निर्माता।
दलितों के हो तुम्ही विधाता।।

प्रथम न्याय विधि मंत्री बनके।
भाग्य सुधारे अपने जनके।।
शिक्षाविद् लेखक संपादक।
बने दार्शनिक ज्ञानी साधक।।

धर्म शास्त्र के तुम हो ज्ञाता।
होना इतिहासविद् सुहाता।।
कर्म किए सब मंगलकारी।
माँ – बापू के आज्ञाकारी।।

भाई – बहनों में तुम छोटे ।
कर्म किए पर मोटे – मोटे।।
गुरु महादेव कृपा दिखाई।
साथ दिया समझ चत्तुराई।।

तुम्हीं मनीषी योद्धा नायक।
अनुकरण तुम्हारा फलदायक।।
जीवन पूरा पर कल्याणी।
जनहित में गूँजी निज वाणी।।

अभिशापित को राह दिखाई।
जीने की नित रीत सिखाई।।
दृढ़ी प्रचंडी तुम संग्रामी।
स्मरण शक्ति में सबके स्वामी।।

भेदभाव मन को ना भाए।
सबके हित अभियान चलाए।।
मज़दूर किसान समर्थन में।
वाणी महिला हक चिंतन में।।

सोची सबके अधिकारों की।
आवाज़ बने तुम हारों की।।
ज्ञान शील की करते पूजा।
स्वाभिमान में जीना दूजा।।

गौतम फुले कबीरा गुरुवर।
चले इन्हीं की वाणी चितधर।।
सत्य अहिंसा को अपनाया।
बौद्ध धर्म में हृदय रमाया।।

मास सुरा से दूरी रखना।
स्वाद पढ़ाई का ही चखना।।
नैतिकता की सदा बढ़ाई।
समझी सबको फिर बतलाई।।

समता क्षमता भाईचारा।
तुमको लगता नारा प्यारा।।
छुआछूत होती बीमारी।
मानवता है जाति हमारी।।

कर्म नेक की सदा बड़ाई।
जाति धर्म की व्यर्थ दुहाई।।
उदाहरण हैं बाबा साहब।
जिनको पूजें स्वर्ण दलित सब।।

राम राव जी पिता तुम्हारे।
माँ भीमाबाई के प्यारे।।
बुद्धि जान सब तुमसे हारें।
नमन करें वचनों को धारें।।

मनुज नहीं तुम प्रभु अवतारी।
वचन – वचन है केसर क्यारी।।
गुरु राजा सब तुमसे मोहित।
कर्म अर्थ बदला कर शोभित।।

सूर्य – चंद्र सम कीर्ति तुम्हारी।
प्रेरित करती नीति तुम्हारी।।
बाबा साहिब महिमा निश्छल।
जीवन मानो कोई शतदल।।

ज्ञान मान में वैभवशाली।
सदा रहे मन से बलशाली।।
संघर्ष बना जीवन धारा।
अटल अडिग मन कभी न हारा।।

शिक्षक महादेव के प्यारे।
बाबा साहिब देव हमारे।।
भारत रत्न तुम्ही कहलाए।
मरहम ज़ख्मों के बन आए।।

क़दम-क़दम पर संकट आया।
हसरत मन की मिटा न पाया।।
जय-जय बाबा पुण्य प्रतापी।
जीवन राहें हँसके नापी।।

गौतम बुद्ध महात्मा जाना।
बौद्ध धर्म को अपना माना।।
सच के संग तुम्हारा नाता।
ऊँच कर्म ही तुमको भाता।।

हिंदू धर्म तुम्हें ना भाया।
छुआछूत का रोग बताया।।
जाति धर्म की नहीं दुहायी।
कर्मों की पूजा सुखदायी।।

भीम नाम का आज सहारा।
राजनीति की बहती धारा।।
वचन तुम्हारे जो अपनाते।
आदर्श समाज सभी पाते।।

धीरे – धीरे समझ बढ़ेगी।
यश गाथा सौपान चढ़ेगी।।
खुली क़िताब तुम्हारा जीवन।
पढ़ता उसका हो मन मधुबन।।

नौ भाषाएँ तुमको आती।
बाबा मुख से शोभा पाती।।
हिंदी पाली हो गुजराती।
फ्रेंच मराठी जर्मन भाती।।

उर संस्कृत पर्शियन विराजे।
अंग्रेज़ी जीवन को साजे।।
लेखन पाठन जीवन हिस्सा।
मधुर मनोहर बाबा किस्सा।।

बत्तीस डिग्रियों को पाकर।
ज्ञान किया निज स्वयं उजागर।।
महापुरुष का आदर पाया।
बाबा साहिब जग में छाया।।

सबसे हटके लीक दिखाई।
सबके दिल में जगह बनाई।।
अपने जन को सदा विचारा।
किया दीप सम जल उजियारा।।

दलित वोट का है अधिकारी।
बाबा पहल हुई ये जारी।।
शासन सत्ता हक दिलवाया।
हीन भाव का मौन हटाया।।

दलित नार सब शिक्षा पाकर।
ऊँच पदों पर बैठे आकर।।
जय – जय बाबा साहिब प्यारे।
जग से न्यारे काज तुम्हारे।।

हर वर्ष जयंती आती है।
दुनिया हँस झूम मनाती है।।
मास अप्रैल दिवस चौदह का।
हर्षित कोना पाक हृदय का।।

‘प्रीतम’ बाबा के गुण गाए।
जन-जन को सब लिख बतलाए।।
बाबा साहिब करो उजाला।
हम पीयें हर गुण का प्याला।।

दोहे

भीमाबाई पूत तुम , रामराव जी लाल।
बाबा साहिब कर्म से,जग हित बने मिसाल।।

कोटि-कोटि तुमको नमन,धर्म-कर्म के नाथ।
वचन कहे अनमोल सब , रहें हमारे साथ।।

#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना

Language: Hindi
424 Views
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