Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2017 · 2 min read

#शहीदे-आज़म भगतसिंह चालीसा

शहीदे-आजम भगतसिंह

दोहे

माता थी विद्यावती , किशनसिंह के लाल।
बंगा लायलपुर ज़िला , जन्मे भगत मिसाल।।

देशप्रेम साहस लिए , आन बान नित शान।
भगतसिंह तुमसा नहीं , कोई और महान।।

चौपाइयाँ

शत – शत नमन शहीदे आज़म।
समर वीर सबसे ऊँचे तुम।।
भगतसिंह है नाम तुम्हारा।
जोश जगाता काम तुम्हारा।।
अंग्रेजों की नींव हिलाई।
आज़ादी की लहर जगाई।।
सैंडर्स मौत घाट उतारा।
पुलिस अधीक्षक था वो खारा।।

बटुकेश्वर दत्त संग मिलके।
बम फैंका था दिल्ली चलके।।
सैंट्रल असेंबली दहलाई।
अंग्रेजों की नींद उड़ाई।।
देकर तुम स्वयं गिरफ़्तारी।
ज़ेल गए जोश क्रांतिकारी।।
आज़ादी के तुम दीवाने।
रीति नीति को ये जग जाने।।

भागे न कभी पीठ दिखाकर।
जाना था भू लोक जगाकर।।
हँसते – हँसते सूली चढ़ना।
सबके मन था साहस भरना।।
तेईस वर्ष जीवन पाया।
देशप्रेम का पाठ पढ़ाया।।
सुखदेव राजगुरु मीत बने।
संग चले वो दिलजीत बने।।

अंग्रेज़ क्रूर जनरल डायर।
बाल भगत मन पर था फायर।।
जलियांवाला दर्द तुम्हारा।
परिवर्तन का एक इशारा।।
लोग हज़ारों मरते देखे।
डायर फ़ायर करते देखे।।
बेकसूर की हत्या निर्मम।
देख तुम्हारी आँखें थीं नम।।

प्रेमी पागल लेखक कवि हो।
देशभक्ति की मनहर छवि हो।।
भगत सिंह की बातें प्यारी।
त्याग प्रेम सेवा हितकारी।।
इंकलाब का नारा प्यारा।
अर्थ क्रांति की जय हो धारा।।
छोड़ अहिंसा से सब नाते।
किये गदर दल से फिर नाते।।

रहे हितैषी मानवता के।
धनी तुम्हीं वैचारिकता के।।
तुमको झुकना न कभी आया।
देशप्रेम ही सदा सुहाया।।
रहे ज़ेल भी आज़ादी में।
अंग्रेजों की बरबादी में।।
जोशीले हैं वचन तुम्हारे।
जो धारे वो न कभी हारे।।

एक कुशल वक्ता तुम पाठक।
अच्छे लेखक तुम संपादक।।
सदा रहे परताप तुम्हारा।
ओज मौज़ भर बहती धारा।।
परहित तुमने दी क़ुर्बानी।
अजर अमर हो तुम बलिदानी।।
अटल अडिग तुम धुन के पक्के।
अंग्रेज किये हक्के बक्के।।

पाँच ज़ुबान तुम्हें थी आती।
तुम्हरे मुख से शोभा पाती।।
हिंदी पंजाबी अंग्रेज़ी।
बांग्ला उर्दू हृदय सहेजी।।
युवा वर्ग के प्रेरक बनते।
पग – पग में तुम बिजली भरते।।
अत्याचारी न कभी भाया।
अंग्रेज़ी या भारत जाया।।

धर्म देश की सेवा माना।
आज़ाद कर्म उर में ठाना।।
जीवन जीना निज कंधों पर।
उठें जनाज़ें पर कंधों पर।।
ख़ुद्दारी न कभी भूले तुम।
हँसके सूली भी झूले तुम।।
माफ़ीनामा भी ठुकराया।
अंग्रेजों को मग़र झुकाया।।

जन्म दिवस अठाइस सितंबर।
उन्नीस सौ सात भू अंबर।।
तेईस मार्च हुए शहीदी।
उन्नीस इकतीस दौर बदी।।
भगत शहीदे आज़म हो तुम।
वीरों के दम में दम हो तुम।।
कोटि – कोटि है नमन हमारा।
भगत सिंह तुम सूर्य सितारा।।

दोहा

देशप्रेम की नींव है , भगतसिंह का नाम।
सच्चे देश सपूत को , युग-युग करे प्रणाम।।

#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना

Language: Hindi
324 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
भगवा रंग में रंगें सभी,
भगवा रंग में रंगें सभी,
Neelam Sharma
23/31.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/31.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आम का मौसम
आम का मौसम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
यूँ तो कही दफ़ा पहुँची तुम तक शिकायत मेरी
यूँ तो कही दफ़ा पहुँची तुम तक शिकायत मेरी
'अशांत' शेखर
निलय निकास का नियम अडिग है
निलय निकास का नियम अडिग है
Atul "Krishn"
ये कुछ सवाल है
ये कुछ सवाल है
gurudeenverma198
मेरा सुकून....
मेरा सुकून....
Srishty Bansal
कुंडलिया छंद *
कुंडलिया छंद *
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हम शायर लोग कहां इज़हार ए मोहब्बत किया करते हैं।
हम शायर लोग कहां इज़हार ए मोहब्बत किया करते हैं।
Faiza Tasleem
इश्किया होली
इश्किया होली
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कितनी सलाखें,
कितनी सलाखें,
Surinder blackpen
जल धारा में चलते चलते,
जल धारा में चलते चलते,
Satish Srijan
💐अज्ञात के प्रति-65💐
💐अज्ञात के प्रति-65💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नशे में फिजा इस कदर हो गई।
नशे में फिजा इस कदर हो गई।
लक्ष्मी सिंह
लगाव
लगाव
Arvina
जो गिर गिर कर उठ जाते है, जो मुश्किल से न घबराते है,
जो गिर गिर कर उठ जाते है, जो मुश्किल से न घबराते है,
अनूप अम्बर
हम और तुम जीवन के साथ
हम और तुम जीवन के साथ
Neeraj Agarwal
कभी चुभ जाती है बात,
कभी चुभ जाती है बात,
नेताम आर सी
■दोहा■
■दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
ये रिश्ते हैं।
ये रिश्ते हैं।
Taj Mohammad
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
ज्ञान का अर्थ
ज्ञान का अर्थ
ओंकार मिश्र
* आए राम हैं *
* आए राम हैं *
surenderpal vaidya
करते बर्बादी दिखे , भोजन की हर रोज (कुंडलिया)
करते बर्बादी दिखे , भोजन की हर रोज (कुंडलिया)
Ravi Prakash
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
धरातल की दशा से मुंह मोड़
धरातल की दशा से मुंह मोड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
फटेहाल में छोड़ा.......
फटेहाल में छोड़ा.......
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
तुम मेरे बाद भी
तुम मेरे बाद भी
Dr fauzia Naseem shad
Loading...