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24 Sep 2017 · 2 min read

#शहीदे-आज़म भगतसिंह चालीसा

शहीदे-आजम भगतसिंह

दोहे

माता थी विद्यावती , किशनसिंह के लाल।
बंगा लायलपुर ज़िला , जन्मे भगत मिसाल।।

देशप्रेम साहस लिए , आन बान नित शान।
भगतसिंह तुमसा नहीं , कोई और महान।।

चौपाइयाँ

शत – शत नमन शहीदे आज़म।
समर वीर सबसे ऊँचे तुम।।
भगतसिंह है नाम तुम्हारा।
जोश जगाता काम तुम्हारा।।
अंग्रेजों की नींव हिलाई।
आज़ादी की लहर जगाई।।
सैंडर्स मौत घाट उतारा।
पुलिस अधीक्षक था वो खारा।।

बटुकेश्वर दत्त संग मिलके।
बम फैंका था दिल्ली चलके।।
सैंट्रल असेंबली दहलाई।
अंग्रेजों की नींद उड़ाई।।
देकर तुम स्वयं गिरफ़्तारी।
ज़ेल गए जोश क्रांतिकारी।।
आज़ादी के तुम दीवाने।
रीति नीति को ये जग जाने।।

भागे न कभी पीठ दिखाकर।
जाना था भू लोक जगाकर।।
हँसते – हँसते सूली चढ़ना।
सबके मन था साहस भरना।।
तेईस वर्ष जीवन पाया।
देशप्रेम का पाठ पढ़ाया।।
सुखदेव राजगुरु मीत बने।
संग चले वो दिलजीत बने।।

अंग्रेज़ क्रूर जनरल डायर।
बाल भगत मन पर था फायर।।
जलियांवाला दर्द तुम्हारा।
परिवर्तन का एक इशारा।।
लोग हज़ारों मरते देखे।
डायर फ़ायर करते देखे।।
बेकसूर की हत्या निर्मम।
देख तुम्हारी आँखें थीं नम।।

प्रेमी पागल लेखक कवि हो।
देशभक्ति की मनहर छवि हो।।
भगत सिंह की बातें प्यारी।
त्याग प्रेम सेवा हितकारी।।
इंकलाब का नारा प्यारा।
अर्थ क्रांति की जय हो धारा।।
छोड़ अहिंसा से सब नाते।
किये गदर दल से फिर नाते।।

रहे हितैषी मानवता के।
धनी तुम्हीं वैचारिकता के।।
तुमको झुकना न कभी आया।
देशप्रेम ही सदा सुहाया।।
रहे ज़ेल भी आज़ादी में।
अंग्रेजों की बरबादी में।।
जोशीले हैं वचन तुम्हारे।
जो धारे वो न कभी हारे।।

एक कुशल वक्ता तुम पाठक।
अच्छे लेखक तुम संपादक।।
सदा रहे परताप तुम्हारा।
ओज मौज़ भर बहती धारा।।
परहित तुमने दी क़ुर्बानी।
अजर अमर हो तुम बलिदानी।।
अटल अडिग तुम धुन के पक्के।
अंग्रेज किये हक्के बक्के।।

पाँच ज़ुबान तुम्हें थी आती।
तुम्हरे मुख से शोभा पाती।।
हिंदी पंजाबी अंग्रेज़ी।
बांग्ला उर्दू हृदय सहेजी।।
युवा वर्ग के प्रेरक बनते।
पग – पग में तुम बिजली भरते।।
अत्याचारी न कभी भाया।
अंग्रेज़ी या भारत जाया।।

धर्म देश की सेवा माना।
आज़ाद कर्म उर में ठाना।।
जीवन जीना निज कंधों पर।
उठें जनाज़ें पर कंधों पर।।
ख़ुद्दारी न कभी भूले तुम।
हँसके सूली भी झूले तुम।।
माफ़ीनामा भी ठुकराया।
अंग्रेजों को मग़र झुकाया।।

जन्म दिवस अठाइस सितंबर।
उन्नीस सौ सात भू अंबर।।
तेईस मार्च हुए शहीदी।
उन्नीस इकतीस दौर बदी।।
भगत शहीदे आज़म हो तुम।
वीरों के दम में दम हो तुम।।
कोटि – कोटि है नमन हमारा।
भगत सिंह तुम सूर्य सितारा।।

दोहा

देशप्रेम की नींव है , भगतसिंह का नाम।
सच्चे देश सपूत को , युग-युग करे प्रणाम।।

#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना

Language: Hindi
334 Views
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