Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2017 · 1 min read

#दोहे – प्रकृति पर आधारित

वन-तरु मानव मीत हैं , पहले अंतिम शेष।
साँसों के आधार ये , मानो इन्हें विशेष।।

प्रकृति संतुलन राखिए , हस्तक्षेप को भूल।
घटा-बढ़ा तो भोगिये , रखे स्वयं अनुकूल।।

वन होंगे वीरान तो , मानव भी वीरान।
स्वास्थ्य संपदा चाहिए , इनका कर उत्थान।।

वृक्षारोपण कीजिए , मानव उत्सव संग।
मंगल तरु जीवन यहाँ , हितकारी हर अंग।।

सत्संगति वरदान है , आए हृदय न पाप।
मगर कुसंगति पतन है , जीवन का अभिशाप।।

अनुशासन से शोहरत , मिले मान सम्मान।
छंदबद्ध कविता मधुर , भाए इसकी तान।।

बाधाएँ अवरोध कर , ताक़त से लाचार।
चट्टानें ज्यों तोड़कर , निर्झर हो शृंगार।।

#आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
446 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
जितना खुश होते है
जितना खुश होते है
Vishal babu (vishu)
*अनमोल हीरा*
*अनमोल हीरा*
Sonia Yadav
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
।। लक्ष्य ।।
।। लक्ष्य ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*सोता रहता आदमी, आ जाती है मौत (कुंडलिया)*
*सोता रहता आदमी, आ जाती है मौत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
23/170.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/170.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुस्कुरा ना सका आखिरी लम्हों में
मुस्कुरा ना सका आखिरी लम्हों में
Kunal Prashant
Kathputali bana sansar
Kathputali bana sansar
Sakshi Tripathi
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम कहो कोई प्रेम कविता
तुम कहो कोई प्रेम कविता
Surinder blackpen
"गाली"
Dr. Kishan tandon kranti
क्षतिपूर्ति
क्षतिपूर्ति
Shweta Soni
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
पूर्वार्थ
नवम दिवस सिद्धिधात्री,सब पर रहो प्रसन्न।
नवम दिवस सिद्धिधात्री,सब पर रहो प्रसन्न।
Neelam Sharma
जितना आपके पास उपस्थित हैं
जितना आपके पास उपस्थित हैं
Aarti sirsat
राम कहने से तर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मानसिकता का प्रभाव
मानसिकता का प्रभाव
Anil chobisa
🙅अमोघ-मंत्र🙅
🙅अमोघ-मंत्र🙅
*Author प्रणय प्रभात*
चार लाइनर विधा मुक्तक
चार लाइनर विधा मुक्तक
Mahender Singh
हिन्दी दोहा बिषय- सत्य
हिन्दी दोहा बिषय- सत्य
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरी आंखों में कोई
मेरी आंखों में कोई
Dr fauzia Naseem shad
*** मां की यादें ***
*** मां की यादें ***
Chunnu Lal Gupta
ये  कहानी  अधूरी   ही  रह  जायेगी
ये कहानी अधूरी ही रह जायेगी
Yogini kajol Pathak
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मेरी पसंद
मेरी पसंद
Shekhar Chandra Mitra
💐अज्ञात के प्रति-101💐
💐अज्ञात के प्रति-101💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...