Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2019 · 6 min read

कुंठा…..

हाँ हाँ तुम कमाती हो और मै मुफ्त की रोटियां तोड़ता हूँ मनु ने आक्रोश मे चिल्लाकर कहा मुझसे यह सब और बर्दाश्त नही होता मै अब इन सबसे छुटकारा चाहता हूँ ……….

यह सुन राधा की आँखें नम हो गई और अपने आप को संयत करते हुए रुंधे गले से बोली मनु शांत हो जाओ ना देखो अंश रो रहा है मै तुम्हारी परेशानी समझती हूँ इस पर हम लोग बात कर हल निकाल सकते हैं प्लीज नाराज मत हो तुम…..

राधा की बात सुन मनु ने अंश को गोद मे उठा अपनी आँखों के कोर पर से पानी की बूँदों को साफ किया और बिना कुछ कहे दूसरे कमरे मे चला गया…….

राधा अब अपनी आँखों मे आए सैलाब को रोक न सकी वह काफी देर तक अकेले बैठे रोती रही उस दिन न दोनों ने खाना खाया और नही एक दूजे से बात की……….

मनु और राधा की अरैंज मैरिज को लगभग 3 साल के करीब हो गया था और दोनो मे आपस मे काफी प्यार था लेकिन करीब पिछले छ: महीने से मनु का स्वाभाव काफी चिडचिडा हो गया था इसका कारण राधा बखूबी समझ रही थी वह उसको खुश रखने की हर कोशिश करती थी किंतु सब व्यर्थ था…..
मनु और राधा दोनों ही शिक्षक थे पहली मुलाकत मे दोनों के विचार अापस मे मेल खा गए जिस कारण दोनों ने एक दूजे को अपने जीवनसाथी के रुप मे स्वीकार कर लिया शादी के बाद दोनों का जीवन बहुत ही प्रेम से व्यतीत हो रहा था तभी उनके जीवन मे एक नई खुशी आ गई राधा का चयन शहर के सरकारी स्कूल मे शिक्षक के रूप मे हो गया दोनों ही बहुत खुश थे और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगे…….

महीने भर के अंदर वह शहर आ गए और राधा ने अपनी नौकरी ज्वॉइन कर ली अब वह सुबह 7 बजे घर से स्कूल के लिए निकल जाती और दोपहर 3 बजे तक घर वापस आती दूसरी तरफ मनु भी नौकरी की तलाश मे लगा था किंतु नए शहर मे आकर काम मिलना इतना आसान न था लेकिन मनु इस बात को लेकर बिल्कुल भी परेशान नही था कुछ दिनों मे ही मनु को भी एक प्राइवेट स्कुल मे नौकरी मिल गई अब दोनों खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगे इसी खुशी के अंदर लगभग साल भर मे एक कड़ी और जुड़ गई उनके एक सुंदर से बालक ने जन्म लिया उन्होंने उसका नाम अंश रखा मनु के माता पिता भी शहर आ गए उधर राधा को भी स्कूल से 6 से 7 महीने की मैटरनिटी लीव
मिल गई उधर मनु के माता पिता को शहर की आवोहबा रास नही आ रही थी किंतु पोते के मोह मे वह भी साल भर टिक गए दूसरी तरफ राधा की भी छुट्टियाँ खत्म हो गई थी उसको स्कूल ज्वॉइन करना था और मनु के माता पिता भी गाँव लौट गए अब दोनों के सामने समस्या यह थी कि साल भर के छोटे से बच्चे का ध्यान कौन रखेगा दोनों ने आपस मे बात कर यह तय किया कि मनु अपनी नौकरी छोड़ बच्चे का ध्यान रख पिता होने का फर्ज निभाएगा उसके निर्णय से राधा भी अपने पति और किस्मत पर गर्व महसूस कर रही थी कि उसे कितना अच्छा जीवन साथी मिला है………

शुरुआत मे तो सब सही चलता रहा लेकिन कुछ दिनो बाद उसको बच्चे के रोने से सुसु पॉटी से बैचेनी होने लगी
पूरे दिन वह घर मे ही कैद हो कर रह गया था ऐसे मे मिलने जुलने वाले व आस पड़ोस के लोग जब कहते कि मनु बाबू आपके तो ठाठ है बीवी की सरकारी नौकरी है मौज ले रहे हो आपको क्या जरुरत है काम करने की कुछ लोग कहते भाई तुम्हारी किस्मत बढिया है कमाने वाली बीवी मिल गई आप तो बस आराम से जीवन काटो उनके इन शब्दों मे व्यंग होता था पहले पहल तो मनु को इतना बुरा नही लगता था लेकिन धीरे धीरे जब वह यही बात कई बार सुन चुका था तो अब वह अवसाद ग्रस्त होने लगा सोचता रहता क्या मैने इसलिए पढ़ाई की थी या इसलिए शादी की थी कि मै घर बैठ यह सब करुं हर दिन के साथ उसका तनाव और क्रोध बढ़ता जा रहा था अब वह अक्सर राधा से ऊँचे स्वर मे बात करने लग गया था लेकिन उस रात कुछ ज्यादा ही हो गया था…….

अगली सुबह राधा स्कूल नही गई और उदास बैठे अपने कमरे मे अतीत के सुनहरे पलों को याद कर रही थी और उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे तभी राधा के फोन की रिंग बजी तो उसकी तंद्रा भंग हुई उसने देखा साँसू माँ का फोन था राधा ने अपनी गीली पलकों को पोंछा और माँ का फोन उठाया वह कुछ बोलती उससे पहले ही माँ जी बोल पड़ी राधा क्या हुआ है बेटा सब ठीक तो है ना राधा ने कहा हाँ जी माँजी सब ठीक है क्या हुआ आप बताएं नही मुझे लगा कि कोई परेशानी है काफी दिनो से मनु न तो मेरा फोन उठा रहा है और नही मुझे फोन करता है तु मुझे सब कुछ सही सही बता राधा को लगा माँ जी को सब कुछ बता देना चाहिए वही हैं जो मनु को अवसाद मे जाने से बचा सकती है राधा ने रोते रोते पूरी व्यथा माँ को सुना डाली माँ ने सारी बात सुनकर कहा बेटा तू चिंता मत कर मै कल आ रही हूँ और सब सही कर दूगीं और अब समय आ गया है इसकी कुंठा को दूर करने का माँ की बात सुन राधा को सांत्वना मिली…………..

अगले दिन माँ दोपहर मे मनु के घर पहुँच गई राधा स्कुल गई थी मनु ने माँ को देखकर कहा अरे माँ आप यँहा बताया भी नही खबर कर देती माँ ने कहा हाँ तू बड़ा मेरा फोन का जबाव देता है चल छोड़ ये सब अब मै आ गई हूँ और यहीं रहूगीं मनु ने कहा और पिताजी माँ ने कहा मेरी तेरे बाप से लड़ाई हो गई है मनु ने चौंककर पूछा मगर क्यों माँ कहने लगी सुन ध्यान से तेरा बाप कमा कर लाता है तो क्या मुझ पर एहसान करता है मै पूरे दिन नौकरानी की तरह सारे घर का काम करुं और वह राजा की तरह रहे बस पूरा जीवन निकल गया है अब मेरे बसकी ना है यह सुन मनु तपाक से बोला माँ यह क्या बच्चों वाली बात कर रही हो तुम अरे पिताजी बाहर काम कर रहे हैं तो तुम्हारा भी फर्ज है की घर संभाल तुम उनको सहयोग करो यह सुन माँ तीखी नजरों से मनु को देखते हुए मुस्कुराई और बोली की तू मुझे कह रहा है तू भी तो यही बचपना कर रहा है क्या सिर्फ महिलाओं का फर्ज होता है कि वह सहयोग करें पुरुषों को नही करना चाहिए और हमने तो तुझे आज तक कभी स्त्री और मर्द मे अंतर करना नही सीखाया माँ की बात सुन मनु शर्म से पानी हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया वह बोला माँ मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई माँ बोली माफी माँगनी है तो राधा से मांग तभी पिताजी के साथ राधा घर मे दाखिल हुई राधा और पिताजी को देख मनु ने राधा से माफी माँगी और कहा कि मै कुंठित हो गया था और तुमसे बहुत अपशब्द कहे लेकिन तुमने मुझे बहुत अच्छे से संभाला मै तुमसे वादा करता हूँ कि आगे से कभी ऐसी गलती नही होगी यह सुन राधा मुस्कुरा कर मनु के गले लग गई और दोनों ने माँ के कांधे पर अपना सर रख दिया पिताजी ने भावुक हुए माहौल को हल्का करने के लिए कहा भई हम भी है अरे बीबी नाराज है तो क्या बच्चे भी नाराज है और सब एक साथ हँस पड़े

#अंजान…….

Language: Hindi
258 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी तुम
नारी तुम
Anju ( Ojhal )
शिक्षा एवं धर्म
शिक्षा एवं धर्म
Abhineet Mittal
मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं सत्य सनातन का साक्षी
Mohan Pandey
विनाश की जड़ 'क्रोध' ।
विनाश की जड़ 'क्रोध' ।
Buddha Prakash
जिसमें हर सांस
जिसमें हर सांस
Dr fauzia Naseem shad
कभी- कभी
कभी- कभी
Harish Chandra Pande
परिवर्तन
परिवर्तन
RAKESH RAKESH
भारत देश
भारत देश
लक्ष्मी सिंह
■ जय हो।
■ जय हो।
*Author प्रणय प्रभात*
" यादों की शमा"
Pushpraj Anant
"बह रही धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
पहचान तो सबसे है हमारी,
पहचान तो सबसे है हमारी,
पूर्वार्थ
फूल खिलते जा रहे
फूल खिलते जा रहे
surenderpal vaidya
आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
21-रूठ गई है क़िस्मत अपनी
21-रूठ गई है क़िस्मत अपनी
Ajay Kumar Vimal
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
Suryakant Dwivedi
डॉअरुण कुमार शास्त्री
डॉअरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पूर्णिमा की चाँदनी.....
पूर्णिमा की चाँदनी.....
Awadhesh Kumar Singh
विविध विषय आधारित कुंडलियां
विविध विषय आधारित कुंडलियां
नाथ सोनांचली
बेटियां
बेटियां
Madhavi Srivastava
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मोह लेगा जब हिया को, रूप मन के मीत का
मोह लेगा जब हिया को, रूप मन के मीत का
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*दीपावली का ऐतिहासिक महत्व*
*दीपावली का ऐतिहासिक महत्व*
Harminder Kaur
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
shabina. Naaz
दौलत
दौलत
Neeraj Agarwal
दाना
दाना
Satish Srijan
छू लेगा बुलंदी को तेरा वजूद अगर तुझमे जिंदा है
छू लेगा बुलंदी को तेरा वजूद अगर तुझमे जिंदा है
'अशांत' शेखर
2486.पूर्णिका
2486.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
Loading...