2. किस्सा :- भग्त पूरणमल (लेखक मनजीत पहासौरिया)
पुरणमल के इतिहास से एक बात उस मोके की जब राणी नूणादे ने पूर्णमल के रंग रूप को देखा तो अपनी सुध बुध भूल गई और सभी मर्यादाओं को तोड़ पुरणमल से प्यार का इजहार करती है, पुरणमल अपनी मौसी नुणादे की बात सुनकर समझाता है, तो दोनों के किस प्रकार से स्वाल जवाब होते है़…
F पूरणमल तेरी स्यान दैखकै, लगी उचाटी तन में,
M पूरण पूत तेरा माता, मत गलत विचार धरै मन में..!!टेक!!
M दर्श करण की खातिर माता , तेरे महलां के म्हं आया,
F माता उसनै जाकै कहिए , जिसनै पेट पाडकै़ जाया,
M मेरी समझ मै आती कोन्या, के लगा ओपरा साया,
F तेरी रूप जवानी देख कै पूर्ण, मेरै लगज्या गात उमहाया
M हे ईश्वर तेरी माया प्रबल, के दृश दिखा दे छन में.!!१!!
F मेरे कहै की मान पूर्ण , तनै सतरंग सेज मिलज्यागी,
M मां बेटे का नेग बिगड़ज्या, नींव धर्म की हिलज्यागी,
F इस बंजर खेत मै तेरे भाग तै , हरियाली फेर खिलज्यागी,
M इसा माड़ा सोचण तै पहल्यां, मेरी चिता जलज्यागी,
F तेरी राजा की ज्यूं चल ज्यागी, मै रहूं दासी बन चरण में..!!२!!
M अगम अगत का ख्याल कर, नहीं उमर नादान तेरी
F प्यासे माणस नै जै नीर पिलादे , या घटती कोन्या श्यान तेरी
M मरज की ठीक जडी़ लेहरया , पिता मेरा सुलेभान तेरी
F क्यूं बुड्ढे का जिकरा करता , मैं आशिक हूँ बेईमान तेरी
M याडै कोन्या बाजै तान तेरी , मत पैर धरै बिघन में..!!३!!
F तेरी गेल्या ब्याह रचालयूं , के धरया सै उस बड़ेरे में
M यो पूरणमल सै बाळ जति, ना फायदा भगत के घेरे में
F कै तो भोग ऐश अमीरी , ना जागा फेर अंधेरे में
M कपीन्द्र शर्मा गुरु की कृपा , ना भय रह्या तन मेरे में
F कह मनजीत पहासौर मनका फेरे में , लगज्या चित भजन में ..!!४!!
रचनाकार :- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं० :- 09467354911
Emails:- pt.manjeetpahasouriya@gmail.com
©®Manjeet Pahasouriya