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15 Jul 2017 · 2 min read

किस्सा–द्रौपदी स्वंयवर अनुक्रमांक–04

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–द्रौपदी स्वंयवर

अनुक्रमांक–04

वार्ता–जब राजा शल्य भी स्वंयवर की शर्त पूरी नहीं कर पाये तो सभी राजा आपस में विचार करने लगे कि अब इस शर्त को कौन पूरा करेगा।
तभी दुर्योधन भी विचार करता है और अपने मामा शकुनि से कहता है कि काश!हमारा भाई अर्जुन होता तो यह पैज पूरी कर देता।तब मामा शकुनि कहता है कि क्या हुआ अर्जुन नहीं है तो कर्ण तो है,तुम किसी तरह दोस्ती का वास्ता दे कर कर्ण को सभा में ले आओ।स्वंयवर की शर्त को वह पूरी कर देगा और द्रौपदी से तुम शादी कर लेना।
अब दुर्योधन कर्ण के पास जाता है और उसको मित्रता का वास्ता देकर सभा में चलने के लिए कहता है।

टेक–सच्चे मित्र थोड़े ज्यादा हैं मतलब के यार सुणों।
उर के अन्दर कपट भरया हो लोग दिखावा प्यार सुणों।।

१-मारया जाता मृग विपन मैं छाल चूकते ही,
नहीं सही निशाना लगै धनुष से भाल चूकते ही,
विरह व्याकुल हो मन उदधि की झाल चूकते ही,
ना गाणें मै रस आ सकता सुर ताल चूकते ही,
चाल चूकते ही चौसर मै झट गुट पिट जाती स्यार सुणों।

२-कामी क्रोधी कुटिल कृपण कपटी प्रीती कर सकता ना,
सूरा पूरा सन्नमुख जाता मरणे से डर सकता ना,
शेर माँस के खाणे आळा घास फूस चर सकता ना,
परोपकारी जीव बिन पर आई मै मर सकता ना,
भर सकता ना घाव बुरा लगै वाणी का हथियार सुणों।

३-असी धार से म्यान मूठ अौर सुशोभीत सेल अणी से हो,
नीलम नग पुखराज लाल हीरे की कद्र कणी से हो,
कानन की छवि पंचानन सिंह की सहाय बणी से हो,
कलम मसी से निशा शशी से शोभीत नार धणी से हो,
फणी मणी अौर मीन नीर से हो अलग मरण नै त्यार सुणों।

४-पतिव्रता ना बण सकती कोय पति ओर करकैं देखो,
सजता नहीं अखाड़े मै कमजोर जोर करकैं देखो,
केशोराम घन धुनी सुनी खुश मोर शोर करकैं देखो,
कुन्दनलाल कहै ले ज्यागें चितचोर चोर करकैं देखो,
नंदलाल गौर करकैं देखो यहां रहणा है घड़ी चार सुणों।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 795 Views
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