16 रागनी किस्सा ताराचंद सेठ लेखक पं मनजीत पहासौरिया
अब मनशा सेठ का सारा परिवार इक्कठा हो गया तो सेठ ताराचंद चंद्रगुप्त के साथ घर चलने त्यारी करते है तो चलते वक्त लड़का चंद्रगुप्त हाथ जोड़कर सबको क्या कहता है,,,
थारे लाड मै कसर रही ना खुब खेला और खाया,
मां के दर्शन होज्या दिन यो बारह साल मै आया..!!टेक!!
याद करुगां हापूड़ की बिती जिंदगी सारी नै,
लाड लडाये पिता मनशा और धर्म महतारी नै,
करोड़ी मरोड़ी भाई मेरे और भाभी प्यारी नै,
गिरवी धरणा पड़ा देखकै घर की लाचारी नै,
छ: साल के बालक नै, ली थी थारी ए छत्र छाया..!!१!!
मौज उडाई इस घर मै बारह साल मनै,
मां बाप तै बढकै प्यार मिला रहैगा ख्याल मनै,
टेम पै रोटी कपड़ा मिला बरतन धन माल मनै,
करियो खता माफ मेरी मतना दियो गाल मनै,
इतने दिन का पानी दाणा इस घर का मनै पाया..!!२!!
फंसी नाव थारै भाग तै, सागर बीच तर जावै,
आज नही गया तै, मेरी जननी रो रो मर जावै,
आंखा तै तम आंसू पुछो, ना मेरी भी भर जावै,
तम धरो शिश पै हाथ, चन्द्रगुप्त अपणै घर जावै,
राजी होकै जाऊ तै, मेरी होजा आनन्द मय काया..!!३!!
लख्मीचन्द तेरे सांग की, दुनिया करै बढाई,
चन्दन लाल और सतबीर सिंह चालै इसै राही,
श्रीनिवास मास्टर जी करै, धर्म ग्रन्थ की बुनाई,
कपीन्द्र शर्मा गुरु जी मेरे, जिनपै शिक्षा पाई,
कहै मनजीत पहासौरिया प्रेम तै, हर का गुण गाया..!!४!!
रचनाकार :- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं:- 9467354911