10रागनी किस्सा जमल फत्ते (होली स्पेशल) मनजीत पहासौरिया
पीकै दारु खेलै होली, कोन्या शर्म आई तन्यै,
के सारा शहर सुना होगा, खेलन ने मामी पाई तन्यै..!!टेक!!
कितनी सूथरी साड़ी थी, कर दिया सत्यानाश आकै,
दारू पीवै रहै नशे मै, मरज्या नै तू जहर खाकै,
कोड जल्म करा कहूंदी तेरे मामा धोरै जाकै,
ल्याज शर्म दी तार बगा, बोला मूंह नै ठाकै,
घर तै बहार चाल्या जा, किस बल करी अंगाई तन्यै.!!१!!
जानबूझ करै बदमासी, ना झाल बदन की डाटी,
कहते कहते भी मना कोन्या, मै बहोत घणी थी नाटी,
आंख्या का तेरा त्योर बदल रहा, देखकै जाण पाटी,
रहणा हो तै ढ़ग तै रहिए, ना तै होज्यागी रे रे माटी,
काम करै ना धाम करै, मेरी छाती मै राद जमाई तन्यै..!!२!!
सक्ल देखना ना चाहती, ऊत कड़ै तै आया,
उपर की थी चमक चांदनी, भीतर काला पाया,
छेंद करा सै उस हांडी मै जिसमे रोज खाया,
घर के भीतर भंणजा, सबनै नमक हरामी बताया,
कांण नही छोटे बड़े की, ना सिखी करणी समाई तन्यै..!!३!!
होली का तै ओडा सै, तेरी नीत पाप मै भरी रहै,
भूल सकू ना जिंदगी भर, ये सारी लिखी धरी रहै,
दूख के पापड़ पड़ै बेलने, या सत् की नाव तरी रहै,
आगै आवैगी करणी तेरै, या धर्म की बेल हरी रहै,
मनजीत पहासौरिया धर्मराज कै, देणी पडगी सफाई तन्यै..!!४!!
रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं० :- 9467354911
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