Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2017 · 4 min read

किस्सा–चन्द्रहास अनुक्रम–17

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–चन्द्रहास

अनुक्रम–17

वार्ता–सभी सखियां विषिया से चंद्रहास के बारे में पूछती हैं और उसको जगाने के लिए कहती हैं। इतने में विषिया को चंद्रहास की जेब में चिट्ठी दिख जाती है, कवि ने उस दृश्य का खुबसूरत वर्णन किया है।

टेक- कोण कड़ै तैं आया हे,पाटी कोन्या जाण इसकी,सूत्या सै जगा ले विषियां,सूत्या सै जगा ले।

१-एक बात का तो मनै बेरा पटग्या हे,
हारया थक्या बाग मैं आकैं डटग्या हे,
देख कैं ठंडी छायाँ हे गयी आंख लाग भाण इसकी,
खूब तूं निंगाह ले विषियां,सूत्या सै जगा ले।

२-ऊं बी माणस दिखै सै घणा चातर हे,
दिया परमेश्वर नै भेज पति तेरै खातर हे,
तनै लाल रेत मैं पाया हे कर ले पिछाण इसकी,
भाज कैं उठा ले विषियां,सूत्या सै जगा ले।

३-के जीणा हो जोड़ी के भरतार बिना,
ऐसा मेल मिलावै कुण करतार बिना,
सै किसे राजा का जाया हे चंद्रमा सी श्यान इसकी,
चरण दबा ले विषियां,सूत्या सै जगा ले।

दौड़–

विषियां बोली हद हो ली ना खोली गांठ भरम की जा,
यो राजपूत का लड़का धड़का होरया मेरे जिगर के म्हा,
यो तो काम करूँ कोन्या, नाट गई दिया जवाब सुणा,

सूते नैं जगादूं तो यो ले रह्या हाथ कटारी हे,जान तै मारै करै धड़ तैं गर्दन न्यारी हे,एक सखी बोली तेरी देखांगी हुशयारी हे,मरणे तैं के डरना बहना मरती दुनिया सारी हे,इसतै ज्यादा के होगा मरज्यागी सोख कुंवारी हे,

स्त्रियों के अन्दर ऐसी भरी करामात हे,पत्थर का भी पाणी करदयां ऐसी कहां बात हे,फंदे मैं फंसा ल्यां बहना ऐसी म्हारी जात हे,

सखी की जब सुणकैं वाणी हिम्मत कर ली मन के म्हां,खड़ी हुई वा चाल पड़ी चंद्रहास कै पंहुची पा,जा कर कै नै देखण लागी,जब विषियां नै करी निंगाह,

हे पोकेट मैं परवाना देख्या,देख देख कैं चढ़ग्या चा,सखियां नैं कहण लगी थी विषिया जब सुणा सुणा,जब मेरा बाबू घर तै चाल्या ब्याह का जिकर करया मेरी माँ,उसनै भेज्या सै झूठ नहीं साफ आपनैं रही बता,

कातक मैं कातक नहाई थी,करवा चौथ करी थी चित ला,सारां का फल मिल ज्यागा मैं इसकी गैल कराऊं ब्याह,

परमेश्वर की कृपा हो जब सारा संकट भागै सै,इसका तो मनै बेरा ना यो सोवै सै के जागै सै,मेरा भीतरला न्यूं कहरया यो किमे न किमे मेरा लागै सै,

खड़ी हुई जब चाल पड़ी थी हिम्मत कर ली मन के म्हां,शनै शनै विषिया जब परवाने नै ले सरका,खोल लिफाफा बाचण लागी,चिटठी पढेै प्रीति ला,

पत्री का मजमून खोल कैं विषिया देखै थी,मधुर मधुर सुर शब्द बोल कैं विषिया देखै थी,

जल मीठा है के खारा,अम्ल मीठा है के खारा,फल मीठा है के खारा,छोल कैं विषिया देखै थी,
खिली ज्युं धूप बगीचे बीच,थे पुष्प अनूप बगीचे बीच,सुख रुप बगीचे बीच,डोल कैं विषिया देखै थी,
शुभ गुण भरकैं धर्म तराजू,सच्चा करकैं धर्म तराजू,दिल धरकैं धर्म तराजू,तोल कैं विषिया देखै थी,
सुख वाणी मैं रस भरया,रुख वाणी मैं रस भरया,मुख वाणी मैं रस भरया,बोल कैं विषिया देखै थी,
कंज मैं रंज मती पै भंवर,काम की बाम रति पै कंवर,नंदलाल पति पै चंवर,ढोळ कैं विषिया देखै थी,

पढ़ते पढ़ते चिट्ठी अंदर आगै जो लिख राख्या क्या,विष का नाम जब पढ़या विषिया धक्का लाग्या काळजै आ,
सत्यानाश तेरा जा बाबू अन्यायी करता अन्याय,यो पूत बिराणा मरवावण खातर फंदे अंदर लिया फसा,
सोवै सै इतणै जीवै सै,मदन कंवर कै पहुंचै पा,जाते हि इसनै विष मिलज्या,फेर पाच्छै कर लेगी क्या,

फेर अपणे दिल के अन्दर आपै रही हिसाब लगा,वो तो न्यूं ऎ लिखै था विषिया मिलज्या,पर गलती तैं विष लिख्या गया,
देखो काम करै थी क्या,किस तरीयां छुटैगी या मीन जाळ मैं फहगी सै,फेर पाछै कर लेगी,के कसर मरण मैं रहगी सै,खड़ी हुई जब चाल पड़ी हिम्मत कर ली मन के म्हां,

एक दरख्त कै धोरै पहुंची,देखो काम करै थी क्या,पतळा सा एक तिनका तोड्या,हाथ बीच मैं लिया उठा,आंख बीच तैं स्याही काढ़ी,देखो काम करै थी क्या,एक यं और मांड्या था आगै मात्रा दई लगा,

समझदार थी लड़की श्याणी चिट्ठी मैं रंग भर गई,चंद्रहास कै ऊपर देखो हर की माया फिर गई,जिस जगहां विष लिख राख्या उस विष का विषिया कर गई,

अपणा मतलब पूरा करकैं परवाना बणाया बंद,जिस तरीयां भंवरा पुष्पों की लेता सुगंध,इस तरीयां तै राजी होगी गात मैं छाया आनंद,सखियां नै न्यूं कहण लागी महलों मैं चालो पधार,पीछै तैं आज्यागा राजा का यो राजकुमार,

सखि जो सहेली मिलकैं शहर मैं ध्याई देखो,सभी सखी अपणे अपणे घर आई देखो,महल के अन्दर पहुंच गई मंत्री की जाई देखो,बगीचे की ओर उसनै सुरति ये लगाई देखो,आया कोनी आया कोनी मेरी नंनद का भाई देखो,कहते कुंदनलाल वर देती दुर्गे माई देखो।

४-केशोराम नाम की रटना रटले हे,
कुंदनलाल हाल कहैं सत पै डटले हे,
नंदलाल गुरु की दाया हे महिमा महान इसकी,
चरणन चित ला ले विषिया,सूत्या सै जगा ले।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता:

Language: Hindi
1 Like · 848 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अधीर मन खड़ा हुआ  कक्ष,
अधीर मन खड़ा हुआ कक्ष,
Nanki Patre
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
डॉ. दीपक मेवाती
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गीतिका
गीतिका
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
💐Prodigy Love-35💐
💐Prodigy Love-35💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*हमारे कन्हैया*
*हमारे कन्हैया*
Dr. Vaishali Verma
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
Dr Manju Saini
सुन्दर तन तब जानिये,
सुन्दर तन तब जानिये,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सिलवटें आखों की कहती सो नहीं पाए हैं आप ।
सिलवटें आखों की कहती सो नहीं पाए हैं आप ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
एक उलझन में हूं मैं
एक उलझन में हूं मैं
हिमांशु Kulshrestha
मोहता है सबका मन
मोहता है सबका मन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
“ ......... क्यूँ सताते हो ?”
“ ......... क्यूँ सताते हो ?”
DrLakshman Jha Parimal
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
क़लम, आंसू, और मेरी रुह
क़लम, आंसू, और मेरी रुह
The_dk_poetry
तुम
तुम
Punam Pande
बिल्ली मौसी (बाल कविता)
बिल्ली मौसी (बाल कविता)
नाथ सोनांचली
2694.*पूर्णिका*
2694.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कागजी फूलों से
कागजी फूलों से
Satish Srijan
है कहीं धूप तो  फिर  कही  छांव  है
है कहीं धूप तो फिर कही छांव है
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
खाक पाकिस्तान!
खाक पाकिस्तान!
Saransh Singh 'Priyam'
"एक हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
घर के किसी कोने में
घर के किसी कोने में
आकांक्षा राय
भूल कर
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा  करने की कोशिश मात्र समय व श्र
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा करने की कोशिश मात्र समय व श्र
*Author प्रणय प्रभात*
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
Paras Nath Jha
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
लक्ष्मी सिंह
संभव कब है देखना ,
संभव कब है देखना ,
sushil sarna
जीवन दर्शन मेरी नजर से ...
जीवन दर्शन मेरी नजर से ...
Satya Prakash Sharma
life is an echo
life is an echo
पूर्वार्थ
Loading...