Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2017 · 1 min read

किस्सा–चन्द्रहास अनुक्रम–19

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–चन्द्रहास

अनुक्रम–19

वार्ता–विषिया महल की छत पर चढ़ कर चंद्रहास के आने का इंतजार करती है।कवि ने उस समय का खुबसूरत वर्णन किया है।

टेक- घर घर मैं चर्चा हो री,गई मालम पाट बटेऊ की,
विषिया चढ़ी अटारी पै,देखै थी बाट बटेऊ की।

१-देखैं नर नार खङ्या करदयो,नगरी बाहर खङ्या करदयो,
एक पहरेदार खङ्या करदयो,ले घोड़ी डाट बेटऊ की।

२-धर दयो गर्म नीर नहाणे नैं,भोजन त्यार करो खाणे नैं,
दियो तकिया लगा सिरहाणे नैं,बिछवा कैं खाट बटेऊ की।

३-स्वर्ण शुद्ध हो कृसानों से,देखी सुणी हुई कानों से,
चंद्रमा और भानों से,ना शोभा घाट बटेऊ की।

४-पति बिन शोभा ना बेसर की,क्यारी खिली हुई केसर की,
दया हुई परमेश्वर की,दई विपदा काट बटेऊ की।

५-मग मैं सूळ बखेरयां पाछै,धंधकै आग कसेरयां पाछै,
नंदलाल कहै फेरयां पाछै,खुलवा दियो आंट बटेऊ की।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 561 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*
*"अवध में राम आये हैं"*
Shashi kala vyas
■ बात बात में बन गया शेर। 😊
■ बात बात में बन गया शेर। 😊
*Author प्रणय प्रभात*
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
'अशांत' शेखर
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
Ashish shukla
इंद्रधनुष सा यह जीवन अपना,
इंद्रधनुष सा यह जीवन अपना,
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
कवि रमेशराज
प्रभु पावन कर दो मन मेरा , प्रभु पावन तन मेरा
प्रभु पावन कर दो मन मेरा , प्रभु पावन तन मेरा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राजस्थान
राजस्थान
Anil chobisa
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
शेखर सिंह
जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
रात के सितारे
रात के सितारे
Neeraj Agarwal
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बचपन
बचपन
Anil "Aadarsh"
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा
मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा
अनूप अम्बर
"आफ़ताब"
Dr. Kishan tandon kranti
*गम को यूं हलक में  पिया कर*
*गम को यूं हलक में पिया कर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*
*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
गिनती
गिनती
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चंद एहसासात
चंद एहसासात
Shyam Sundar Subramanian
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं
मैं
Ranjana Verma
छन्द- सम वर्णिक छन्द
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
rekha mohan
जिस तरह फूल अपनी खुशबू नहीं छोड सकता
जिस तरह फूल अपनी खुशबू नहीं छोड सकता
shabina. Naaz
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
It is necessary to explore to learn from experience😍
It is necessary to explore to learn from experience😍
Sakshi Tripathi
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
होली की पौराणिक कथाएँ।।।
होली की पौराणिक कथाएँ।।।
Jyoti Khari
मेघों का मेला लगा,
मेघों का मेला लगा,
sushil sarna
296क़.*पूर्णिका*
296क़.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...