18 रागनी किस्सा चंद्रकिरण मनजीत पअहासौरिया
अब राजा मदनसेन कान पड़वा लेता है और भगमा बाण धारण करके कंचनपुर की और चलता है। रास्ते मे एक बुढ़िया आरणे चुग रही थी। तो बाबाजी के भेष मे मदनसेन बुढ़िया से कहता है ताई चंद्रकिरण का पता बता दे। जैसे बुढ़िया ने “ताई” शब्द सुना तो समझ जाती है नरा बाबा जी कोन्या और एक बात के द्वारा क्या कहती है:-
भगमा बाणा करै आश्की, बात समझ आई कोन्या,
बाबा जी तै बहोत देखे, कोये कहता ताई कोन्या..!!टेक!!
लागरी इश्क की चोट, दुख देवैगी भारा,
तेरी खटक का मनै, भेद पाट लिया सारा,
बाबा जी तेरा ढंग न्यारा, तेरै गात समाई कोन्या..!!१!!
कंचन पूर मै मोड़ बांध कै, आना चावै सै,
बाबा जी चंदकिरण तै मेल मिलाणा चावै सै,
ब्याह करवाणा चावै सै, पर अड़ै सगाई कोन्या..!!२!!
उलटा चाल्या जाईए, जिण पैडा़ आया सै,
तरवा देगी खाल, तेरी मखमल कैसी काया सै,
जिसकै ओपरा साया सै, लागती दवाई कोन्या..!!३!!
गुरु कपीन्द्र का कहैया मान, गुण ईश्वर के गाले
मनजीत पहासौरिया अपने दिल नै आप समझाले,
भजन बणाकै सूर मै गा ले, इसतै बड़ी कमाई कोन्या..!!४!!
रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 9467354911