किताब बन गए
किताब बन गये
*************
ये क्या हुआ?
कैसे हुआ,क्यों हुआ?
तुम मेरी किताब बन गये,
मेरे जीवन के हिसाब बन गये।
कुछ समझ न आया,
सब कुछ अचानक
कैसे आप पर निर्भर हो गया।
न किसी ने कुछ कहा
न ही दबाव डाला
फिर भी सब कुछ होता चला गया,
आज सबकुछ आपका ही
जैसे स्वमेव होता चला गया।
एक पल में सब कुछ बदल गया
सबको पढ़ने की
मेरी आदत थी,
मेरी किताब का हर पन्ना
आपकी किताब में शामिल हो गया,
आपकी जिंदगी का फलसफा
मेरे जीवन का आधार बन गया।
✍ सुधीर श्रीवास्तव