किताबे
ज्ञान का दीपक जलाती,
मेरा मन रोज वो बहलाती,
अंधेरे में उजाला दिखाती,
मुझसे अकेले में बतयाती,
सपनो में महलो की सैर कराती,
इस जग को जग दिखलाती,
मैं उसमें वह मुझ में समाई,
यही है जग की सच्ची कमाई ,
सुख में खुशी के गीत गुनगुनाती,
दुख में मुझको प्यार से सहलाती,
निराशा में आशा को दिखाती,
मुझको मेरे मीत से मिलाती,
मुझको मां की लौरी सुनाती ,
अकेले में मुझसे वह बातें करती,
मेरी कविताओ को संभालती ,
वो किताबे है जो मुझको लुभाती,
।।।जेपीएल।।।