Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2017 · 1 min read

…कितना आनंद अकेले में…

कितना आनंद अकेले में…!!
________________________
जब जी चाहे खुल कर हँस ले
रोना चाहे जी भर रोलें,
भोजन मिले तो छक कर खाये
कभी- कभी भूखा सो जाये।
मस्त रहें हर वक्त कभी ना
पडें किसी झमेले में,
कितना आनंद अकेले में।

जीवन का हर चाल परख लें
खुशी या गम सब मन में रख लें,
हर विपदा को हँस कर झेलें
खेल समझ हालात से खेलें,
खुद ही खुद को है समझाते
मिले न हौसला मेले में,
कितना आनंद अकेले में।

अकेला हूँ कोई साथ नहीं है
आपना कोई पास नहीं है,
कठिन राह और विकट है जीवन
अपनों को अर्पण यह तन मन,
अपनों के हित किया जो कुछ भी
हर्ष मिलेगा जीने में
कितना आनंद अकेले में।

जीवन धन जो मिला है जी लें
हर गम को हँस- हँस कर पी ले,
लेकर रंग प्रकृति से उसका
इन्द्रधनुष सा रंग पीरो लें
इस जीवन का मोल समझना
व्यर्थ न जाये रोने में
कितना आनंद अकेले में।

कुछ सपने जो हमसे रुठे
उन सपनों पे अपने छुटे,
पुरे जो वो सपने होते
शायद संग सब अपने होते।
जो अपनों के संग में रहता
दर्द न होता सिने में,
कितना आनंद अकेले में।

©®पं. संजीव शुक्ल”सचिन”

9560335952
उन सभी मित्रों को समर्पित जो अपने अपनों से दूर एकांकी जीवन वसर करने को मजबूर है।
धर्म के हाथों, फर्ज के हाथों।

Language: Hindi
1 Like · 361 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
पिया की प्रतीक्षा में जगती रही
पिया की प्रतीक्षा में जगती रही
Ram Krishan Rastogi
2869.*पूर्णिका*
2869.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■आज का #दोहा।।
■आज का #दोहा।।
*Author प्रणय प्रभात*
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Dushyant Kumar
100 से अधिक हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की पते:-
100 से अधिक हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की पते:-
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
आसमां में चांद अकेला है सितारों के बीच
आसमां में चांद अकेला है सितारों के बीच
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
गर्मी
गर्मी
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
جستجو ءے عیش
جستجو ءے عیش
Ahtesham Ahmad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
विमला महरिया मौज
और चौथा ???
और चौथा ???
SHAILESH MOHAN
आईना प्यार का क्यों देखते हो
आईना प्यार का क्यों देखते हो
Vivek Pandey
जो पड़ते हैं प्रेम में...
जो पड़ते हैं प्रेम में...
लक्ष्मी सिंह
" अब मिलने की कोई आस न रही "
Aarti sirsat
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
Dictatorship in guise of Democracy ?
Dictatorship in guise of Democracy ?
Shyam Sundar Subramanian
अनुसंधान
अनुसंधान
AJAY AMITABH SUMAN
राम
राम
Suraj Mehra
"छत का आलम"
Dr Meenu Poonia
" क्यों? "
Dr. Kishan tandon kranti
मां के आंचल में
मां के आंचल में
Satish Srijan
ज़िंदगी तेरे मिज़ाज से
ज़िंदगी तेरे मिज़ाज से
Dr fauzia Naseem shad
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और      को छोड़कर
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
Rakesh Singh
सीख लिया मैनै
सीख लिया मैनै
Seema gupta,Alwar
*बेवफ़ा से इश्क़*
*बेवफ़ा से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अस्ताचलगामी सूर्य
अस्ताचलगामी सूर्य
Mohan Pandey
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...