Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2017 · 1 min read

“काश कोई रखवाला होता”

“काश कोई रखवाला होता”
*******************
अपमानों के पंख लगाके, इस दुनिया में आई थी।
रूप रंग श्रृंगार देख के, सबके मन को भाई थी।
बड़े प्यार से बाँह थाम कर, चरखी का संग पाया था।
मतवाले दो हाथों ने भी, ढेरों नेह लुटाया था।
बँधी डोर से खुले गगन में, ऊँचाई को छू जाती।
रंग-बिरंगी सखियों को पा,झूम भाग्य पर इठलाती।
कभी उड़ी मैं कभी गुची मैं, पेंच दाँव पर लग जाते।
कटते-गिरते देख धरा पर, कितने हाथ मचल जाते।
लूट रहे थे नोंच रहे थे, अपमानित हो रोती थी।
आशाओं के दीप बुझा कर, मान-सम्मान खोती थी।
आज कहीं स्वच्छंद गगन में ,मेरा भी इक घर होता।
नहीं उजड़ता जीवन मेरा, जो इक रखवाला होता।

डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी (मो.-9839664017)

Language: Hindi
1 Like · 266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
_सुलेखा.
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Sakshi Tripathi
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
Global climatic change and it's impact on Human life
Global climatic change and it's impact on Human life
Shyam Sundar Subramanian
कैसा दौर है ये क्यूं इतना शोर है ये
कैसा दौर है ये क्यूं इतना शोर है ये
Monika Verma
"तासीर"
Dr. Kishan tandon kranti
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
खेल संग सगवारी पिचकारी
खेल संग सगवारी पिचकारी
Ranjeet kumar patre
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
Harminder Kaur
एक शाम ठहर कर देखा
एक शाम ठहर कर देखा
Kunal Prashant
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी "अश्क " बहाए होगे..?
Sandeep Mishra
2303.पूर्णिका
2303.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जो संतुष्टि का दास बना, जीवन की संपूर्णता को पायेगा।
जो संतुष्टि का दास बना, जीवन की संपूर्णता को पायेगा।
Manisha Manjari
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
*क्या हाल-चाल हैं ? (हास्य व्यंग्य)*
*क्या हाल-चाल हैं ? (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
बहुमूल्य जीवन और युवा पीढ़ी
बहुमूल्य जीवन और युवा पीढ़ी
Gaurav Sony
मेरी पसंद
मेरी पसंद
Shekhar Chandra Mitra
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
भूख सोने नहीं देती
भूख सोने नहीं देती
Shweta Soni
प्रयास जारी रखें
प्रयास जारी रखें
Mahender Singh
आरती करुँ विनायक की
आरती करुँ विनायक की
gurudeenverma198
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ दरकार एक नई आचार संहिता की...
■ दरकार एक नई आचार संहिता की...
*Author प्रणय प्रभात*
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
Rajesh Kumar Arjun
यदि  हम विवेक , धैर्य और साहस का साथ न छोडे़ं तो किसी भी विप
यदि हम विवेक , धैर्य और साहस का साथ न छोडे़ं तो किसी भी विप
Raju Gajbhiye
"दोस्ती का मतलब"
Radhakishan R. Mundhra
Loading...