काश ! एक ऐसा इंकलाब आए …
काश ! मेरे देश में ऐसा इंकलाब आए ,
हिंदू ईद मनाए गर तो मुसलमान दिवाली मनाए।
हिंदू जवान शहीद हो रणभूमि में तो ,
तो मुसलमान उसके परिवार के प्रति फर्ज निभाए।
और जब मुसलमान शहीद हो जंग ए मैदान में ,
तो हिंदू उसका परिवार को संभालने आए ।
बच्चों / औरतों के सम्मान ,सुरक्षा और हक के लिए,
दोनो ही अपने मजहब की दीवारें फांद आएं ।
मंदिर और मस्जिद का कोई भेद न हो मन में,
जहां ईश्वर की याद आए वहां अपना सर झुका आएं
जब हिंदू और मुसलमान एक परिवार की तरह रहें ,
तभी मेरा भारत वास्तव में धर्म निरपेक्ष देश कहलाए,