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22 Aug 2020 · 3 min read

काली रात में बबूल के पेड़ की सुंदरता –

काली रात में बबूल के पेड़ की सुंदरता –
..
मैं अविभूत था,
बबूल के फूलों की,
सुंदरता को देख कर;
इसी वर्षा ऋतु के मौसम में,
एक घने बादलों वाली काली शाम थी वो –
जब आकाश के घने बादल
पृथ्वी परआने नहीं दे रहे थे
तारों का मध्यम प्रकाश.
.
ढंडी शीतल बयार,
अपने साथ, कुछ नन्हीं बूंदों की;
सुहानी बौछार लेकर
मेरे ऊपर अपने प्यार भरे सुखद स्पर्श का
अनुभव करा रही थीं,
और जब रोज की तरह
मैं शाम को घूमने के लिए
घर से बाहर निकला था। 01
.
मैं जब उन बबूल के पेड़ों की
सड़क के किनारे खडी कतार के पास से,
होकर निकला,
उस वीरान सी सड़क पर रोज की तरह;
तो मैं ठहर गया अचानक
उस बरसात के अँधेरे में उस बबूल के पेड़ पर पड़ रहे
लैम्पपोस्ट के प्रकाश में
बबूल के सुन्दर पीले फूलों की मुस्कराती
अपूर्व सुंदरता को देख कर
अचानक, कुछ पल वहीँ रुक कर अवाक रह गया. 02
.
जिस बबूल के बृक्ष को अक्सर लोग
उसके काटों के कारण
उपेक्षित सा रख, उससे दूर रहना पसंद करते हैं
कि उसके पास जाने में भी डरते हैं
मैं उसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध
उसकी छवि अपने मोबाइल में
उतरने के लिए, उसको लगभग स्पर्श कर रहा था. 03

.
कैसी अपूर्व रचना की है ईश्वर ने
प्रकृति की हर देन के रूप में
चाहे वे हमें प्रेरित करती या नहीं करती हों
पर किसी न किसी रूप में
वो उस ईश्वर की ही सुंदरता को
हमें बतलाने प्रयत्न करती हैं
जो हर जगह बिखरी पड़ी हैं
अंतर केवल इतना है
हम अपने विचारों और समस्याओं में
हमेशा इतना खोये रहते हैं
कि उस ओर हम सर उठा कर
बहुत कम ही देख पाते हैं । 04
.
उस काँटों से भरे बबूल के बृक्ष में भी, प्रकृति ने
कैसी अपूर्व सुंदरता भरी थी
ये मैंने अचानक उस शाम महसूस किया और
ये देख कर, मैं सोचने लगा
ये नुकीले कांटे और अवरोध
जो अक्सर हमारे रास्ते रोक लेते हैं
फिर वो चाहे बबूल हो या
पूरी धरती को अपनी चपेट में ले चुका कोरोना
शायद इस पृथ्वी और इसके
वायु, जल, और भूमि को
इंसानों के जहरीले अभिशापों से
बचाने के लिए, उत्पन्न हुए हैं और
ये इस धरती पर किसी न किसी बहाने से
हमारे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं
कि शायद हम प्रकृति का इशारा समझ सकें
उसके अभिशापों में भी
जीवन का नया मन्त्र ढूंढ सकें। 05
.
अचानक मुझे अहसास हुआ
कि अगर तेज हवा का एक भी झोंका
इस बबूल के पेड़ की किसी डाली को
अचानक मेरी तरफ उड़ा लाया
तो उसके नोंक दार काटें
शायद मुझे आहात भी कर सकते थे
फोटो लेने के बाद मैं कुछ दूर हट गया. 06
.
पर बारिश की भीनी फुहार के झोंके और
कुछ दूर, उस सूनसान आसमान में उड़ते भूरे बादल
मुझे जैसे कह रहे थे,
ये सुहाना मौसम, रोज ऐसा नहीं रहता
कुछ देर अभी और मुझे रुकना चाहिए
इंसानों की भीड़ और शोर से दूर
प्रकृति की अनुपम एकांत में
इस सुहाने मौसम और भीनी फुहारों के बीच
जहां केवल निर्मल सुंदरता है
न बनावटी हँसी और
न कोई स्वार्थ मय दिखावा है । 07
.
बबूल का पेड़ उन पलों में,
जैसे मुझसे ये कहना चाहता था,
मेरे पास तो जो भी आता है,
वो मुझे या मेरी डालों को काटने आता है,
या जलाने के लिए, मेरी टहनियां ले जाता है,
पर आज पहली बार, मुझे अहसास हुआ,
कि मेरा एक सुन्दर रूप भी है,
जिससे लोग अनभिज्ञ हैं. 08
.
मेरे उस सुन्दर रूप से,
लोगों को परिचित कराने के लिए, धन्यवाद मित्र
और अचानक मुझे एक सुखद ख़ुशी का अनुभव हुआ
उस सुखद अनुभूति के साथ
मैंने बबूल के पेड़ से कुछ नम आँख लिए
उस अनोखी शाम को
विदा ली. 09
Ravindra K Kapoor
22nd Aug. 2020
interser@rediffmail.com
kapoor_skk@yahoo.com

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 268 Views
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