Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2016 · 3 min read

कायर मरते पीठ दिखाकर [ लम्बी तेवरी-तेवर चालीसा ] -रमेशराज

‘मीरा’ जैसा धर्म निभाकर
तीखे विष का प्याला पाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 1

बन प्रहलाद देख ले प्यारे
अग्नि-कुण्ड के बीच नहाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 2

अमृत रख औरों की खातिर
विष पी नीलकंठ कहलाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 3

इसकी एक मिसाल कबीरा
नयी रौशनी को फैलाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 4

भगत’, ‘राज’, ‘सुखदेव’ सरीखी
जल्लादों से फाँसी पाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 5

कायर मरते पीठ दिखाकर
वीर वक्ष पर गोली खाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 6

जिसमें बैठे हों कुछ बच्चे
वही डूबती नाव बचाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 7

भस्मासुर बनने से अच्छा
अपने को सुकरात बनाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 8

कठिन कार्य था हमने माना
पर्वत से गंगाजी लाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 9

पुत्र-वियोग भले झेला हो
दशरथ जैसा वचन निभाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 10

पाँच-पाँच पति, फिर भी अबला!
उस द्रौपदि का चीर बढ़ाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 11

गुरु सम्मुख बन एकलव्य-सा
और अँगूठा विहँस कटाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 12

मरते काल बाँधने वाले
राम-सरीखे तीर चलाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 13

‘अपने डर से बाहर निकलो’
कायर लोगों को समझाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 14

जिन्हें गुलामी ही प्यारी है
उनके भीतर आग बसाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 15

तन की नहीं वतन की खातिर
अपने को ‘आजाद’ बनाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 16

बनना सीख संत ‘फूले’ तू
जो कन्याएँ दलित, पढ़ाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 17

लोग मरें कर अपनी चिन्ता
बस औरों के लिये दुआ कर, मरा न कोई, अमर हुआ। 18

खल की सत्ता से टकराकर
ऐसा कोई काम नया कर, मरा न कोई, अमर हुआ। 19

मोम सरीखा पिघल और जल
अंधकार में उजियारा कर, मरा न कोई, अमर हुआ। 20

पत्रकार ‘विद्यार्थी’ जैसा
सम्प्रदाय की आग बुझाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 21

हिम्मत हो अब्दुल हमीद-सी
पैटन टेंकों से टकराकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 22

भले तीर-भाले झेले हों
पापी की लंका को ढाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 23

इन्द्रदेव का कोप झेलते
अँगुली पर गिर्राज उठाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 24

सूखे हुए खेत जो देखे
बादल ऐसे में वर्षा कर, मरा न कोई, अमर हुआ। 25

झट दे डालो अग्नि-परीक्षा
सोने-सा मन खूब तपाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 26

‘तिलक’ सरीखे भाषण देकर
शब्द-शब्द को अग्नि-कथा कर, मरा न कोई, अमर हुआ 27

जैसे रानी लक्ष्मीबाई
अरि के सम्मुख खून बहाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 28

जिससे डरे लोग सदियों से
ऐसे अंधकार में जाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 29

अबला-हित ज्यों भिड़ा जटायू
खल से अपने पंख कटाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 30

जीना सब कपीश-सा सीखो
सुरसा के जबड़ों में जाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 31

मन यदि ही जैसे ‘सम्पाती’
सूरज से तन को जलवा कर, मरा न कोई, अमर हुआ। 32

‘लिकंन-सा’ संकल्प अगर हो
जाति-भेद का रूप मिटाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 33

लड़ो लड़ाई तुम ‘लेनिन-सी’
मजदूरों का हक दिलवा कर, मरा न कोई, अमर हुआ। 34

मिट जाओगे मीरजाफरो।
देश-प्रेम में प्राण लुटाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 35

मिले चुनौती लंकेशों को
अंगद जैसा पाँव अड़ाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 36

गुरु नानक-सा बनना अच्छा
धर्मों के पाखण्ड बताकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 37

जिनमें धधक रही हो ज्वाला
खल को वो तेवर दिखलाकर, मरा न कोई, अमर हुआ। 38

अहंकार में एैंठ रही जो
उस गर्दन तलवार चलाकर, मरा न कोई, अमर हुआ।39

कविता को तेवरी बनाकर ,
खल सम्मुख तेवर दिखलाकर, मरा न कोई, अमर हुआ।40
……………………………………………………………………..
+रमेशराज,15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630

Language: Hindi
293 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पिता है तो लगता परिवार है
पिता है तो लगता परिवार है
Ram Krishan Rastogi
!! ईश्वर का धन्यवाद करो !!
!! ईश्वर का धन्यवाद करो !!
Akash Yadav
*बेचारी जर्सी 【कुंडलिया】*
*बेचारी जर्सी 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
अगर आप सही हैं तो खुद को साबित करने के लिए ताकत क्यों लगानी
अगर आप सही हैं तो खुद को साबित करने के लिए ताकत क्यों लगानी
Seema Verma
व्याकरण पढ़े,
व्याकरण पढ़े,
Dr. Vaishali Verma
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
सत्य कुमार प्रेमी
झुंड
झुंड
Rekha Drolia
बसंत का मौसम
बसंत का मौसम
Awadhesh Kumar Singh
जिस दिन कविता से लोगों के,
जिस दिन कविता से लोगों के,
जगदीश शर्मा सहज
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
Paras Nath Jha
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
Subhash Singhai
सपने..............
सपने..............
पूर्वार्थ
विश्व पुस्तक मेला
विश्व पुस्तक मेला
Dr. Kishan tandon kranti
विधवा
विधवा
Acharya Rama Nand Mandal
*तेरे साथ जीवन*
*तेरे साथ जीवन*
AVINASH (Avi...) MEHRA
3297.*पूर्णिका*
3297.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
gurudeenverma198
नफरतों को भी
नफरतों को भी
Dr fauzia Naseem shad
💐💐मरहम अपने जख्मों पर लगा लेते खुद ही...
💐💐मरहम अपने जख्मों पर लगा लेते खुद ही...
Priya princess panwar
"मेरे पास भी रखी है स्याही की शीशी। किस पर फेंकूं कि सुर्ख़िय
*Author प्रणय प्रभात*
जब घर से दूर गया था,
जब घर से दूर गया था,
भवेश
🙏🙏 अज्ञानी की कलम 🙏🙏
🙏🙏 अज्ञानी की कलम 🙏🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कैसे यकीन करेगा कोई,
कैसे यकीन करेगा कोई,
Dr. Man Mohan Krishna
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
!! हे उमां सुनो !!
!! हे उमां सुनो !!
Chunnu Lal Gupta
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
Shweta Soni
दो कदम लक्ष्य की ओर लेकर चलें।
दो कदम लक्ष्य की ओर लेकर चलें।
surenderpal vaidya
💐 Prodigy Love-41💐
💐 Prodigy Love-41💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...