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22 Dec 2018 · 1 min read

काफिले बहारों के

बीत रहे हैं दिन
नाकाम सिलसिलो के
थका हुआ मै
सब्र सहलाता हूं ।

टूट रहे हैं इम्तिहान
रोज कोशिशों के
हारा हुआ मै
मुकद्दर पुकारता हूं ।

मिल जायेंगे रास्ते कभी
दिल की उम्मीदों के
दिन रात मै
सपने जगाता हूं ।

पल भर ठहर जायें
काफिले बहार के
बहुत दूर से मै
रोज निहारता हूं ।।

राज विग 22 12.2018

Language: Hindi
2 Likes · 290 Views
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