कान्हा लो तुम अवतार
कान्हा लो तुम अवतार , धरती करे पुकार
कान्हा लो तुम अवतार , जन जन भरे हुंकार
बाल रूप रख तुम आओ , कालीदेह को मार भगाओ
पूतना कंस जैसे अनेको ,धरा को मुक्त कराओ
वक्त यह कैसा चल रहा , करो तुम टंकार
गोपी गोप की यह भूमि , जहाँ कान्हा का नाद
आज जन्म ले कर गोपाल , फिर से मिटाओ अवसाद
हो रही वसुधा विकल ऐसी , भरो गोपाल फुंकार
माखन चोर गोपी के वसन हरता , गोपी तुमको बुलाए
दुशासन करते है चीर हरण, गोपाल आकर सबक सिखाए
पाप बोझ से लदी अवनि , पापियों को दे दो ललकार
मुरली मनोहर मोर मुकुट धारी , जन्म दिवस है तुम्हारा
ले अवतार आज धरा पर , करो कल्याण तुम हमारा
झुण्ड असुरों के बसे यहाँ पर , शस्त्र की करो झंकार