कान्हा मुझको गले लगा ले
एक रचना
???
छंद-लावणी (मात्रिक),मात्रा-३०
१६/१४ पर यति
कान्हा मुझको गले लगा ले,इधर उधर मैं भटक रहा।
मैं तेरी शरणागत आया,सब कुछ मैंने तुझे कहा।।
गोकुल की गलियन में ढूंढ़ा, लेकिन तू ही नहीं मिला।
मेरे मन का पुष्प कमल भी,देखो अबतक नहीं खिला।
गोकुल में तुम कहां छुपे हो,हम सब गोपों के मनहर।
मन को मेरे शान्त कऱो अब,ऐ मेरे मन के गिरधर।।
वृंदावन की अंध गली में, कहां छुपे हो वंशीधर।
घोर कुंज में मैंने ढूढा,दर्शन दे दोअब नटवर।।
दूर द्वारिका जाकर ढूंढ़ा, सागर से पूंछा मैंने।
मन के अंदर तुमको पाया,जब झांका अंदर मैंने।।
??अटल मुरादाबादी✍️?