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7 Oct 2016 · 1 min read

कान्हा तुम आ फिर से जाना

कान्हा तुम आ फिर से जाना
चित्त चुरा कर फिर ले जाना

बाँसुरी बजा कर मधुर मधुर
उर में आज समाते जाना

बन राधा प्रीत तुझे करती
लौं प्रेम की जलाये जाना

प्रेम दिवानी मीरा जैसी मैं
दर्शन मुझको तुम दे जाना

मार कंकड़ मटके फोड़ यहाँ
माखन मिश्री चुराते जाना

राज्य करे नर असुर यहाँ
उन असुरों को मारे जाना

भाँति -भाँति की गोपियाँ यहाँ
दिल में उनके बसते जाना

दुष्टों से व्याकुल जनजीवन
प्राण कंसों के हरते जाना

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 314 Views
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