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19 Sep 2020 · 1 min read

कानन

कानन (वन,जंगल )

जंगल वन उपवन कानन
धरा सुसज्जित इन आभूषण
लिपटे धरती से ज्यूँ भीगी लट
धारण धरणी को हरियला पट

जीव जन्तु खग विहग पक्षी पखेरू
औषधी लकड़ी फल फूल और तरु
आश्रित समस्त,इनका बसेरा वन
कानन अविलंबित मानव जीवन

सृष्टि के आधार प्रकृति के प्राण
मनुष्य को नहीं सत्य का भान
काट रहे उजाड़ रहे अनमोल संपदा
सूनी माँग सी रिक्त होती वसुंधरा

कल तक जो चूमते थे अम्बर
आज शिथिल पड़े धरा पर
वो शाखाएं बलशाली भुजाएँ
टूटी बिखरी हो गई तितर बितर

तपती वनस्पति का चीर कलेजा
गढ़े पलंग कुर्सी खिड़की दरवाज़ा
जंगल की रक्तिम बूंदों से सिक्त
नींद कैसे आयी हुआ न उर विचलित

प्रलय से पहले करलो प्रकृति सुरक्षा
वृक्ष रोपण और पर्यावरण की रक्षा
लहलहा उठे वन उपवन का हर अंग
समन्वय हो मानव का जब सृष्टि संग

रेखा
१९.९.२०

Language: Hindi
2 Likes · 265 Views
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