कह मुकरी
कह मुकरी
1)आखिर कैसे करूं उपाय,
सहज भाव से रही बताये,
जिससे मिलता हमको मेवा,
क्या सखि पूजा, ना सखि सेवा।
2) जिसका सारा जग दीवाना
,चाहे घर हो या मयखाना,
जिसको पीकर हो बेरंग ,
क्या सखि हाला ,ना सखि भंग।
3)जिससे घर-घर खुशबू महके,
जिसके ऊपर भंवरा चहके,
तोड़ू कैसे खो कर धीरज,
क्या सखि गुड़हल, ना सखि नीरज।
4) मेरी है आंखों का तारा,
वह तो है प्राणों से प्यारा ,
वीर धीर सांवरा सलोना ,
क्या सखि साजन, ना सखि पहुना।
5) बागों में मिलता रोजाना,
हर प्रेमी उसका दीवाना ,
बार-बार वो रुठे बंदा ,
क्या सखि प्रेमी ,ना सखि चंदा।
6) जनता जिससे ले ले पंगा,
कर दे चौराहे पर दंगा ,
पुलिस उठा ले लंबा डंडा,
क्या सखि बंदी ,ना सखि झंडा।
7) जिससे होती लुप्त कालिमा,
अंबर पर छा गई लालिमा ,
चले साथ बढ़ घट के काया ,
क्या सखि सूरज ,ना सखि छाया ।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, सीतापुर।