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24 Jul 2019 · 1 min read

कह गया अलविदा

कह गया अलविदा

हाड़तोड़ मेहनत ने
बेढंग कर दी चाल
पर नहीं जुटा पाया
ढंग के वस्त्र ताउम्र
अपने और परिवार के
नहीं लगवा पाया पैबंद
अपने फटे कमीज पर
जिससे झांकते रहे
लू के नस्तर
शीतलहर के अस्त्र-शस्त्र
वो नहीं करा पाया
बीमार पत्नी का उपचार
नहीं दिला पाया
अपने बच्चों को तालीम
ताउम्र करता रहा
कड़ा परिश्रम
फिर भी रहा अभावग्रस्त
देता रहा दोष
अपने कर्मों को
नहीं ढूंढ पाया
अपनी परेशानियों के
वास्तविक कारण
इसी उहा-पोह में
एक दिन
कह गया अलविदा
जहान को

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
182 Views
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