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23 Mar 2020 · 3 min read

कहो ना,कोरोना है

बहुत दिन बिते बिना किसी बात के
आपसे हुई मुलाकात के
और अपने दिखाये जज़्बात के
देवी और सज्जनों से आगे
परम आदरणीया नारायणी और परम आदरणीय नारायणों
हे भारत के भाग्य विधाता
मेरे पिता तुल्य और माता
हे ईश्वर के वरदानी
हे धरा के प्रचंड अभीमानी
आप सभी का कोरोना के कहर के मध्य मेरा करबद्ध सादर प्रणाम स्वीकार हो।
आशा करता हूं कि आप करोना मुक्त होंगे और हमेशा रहें
लेकिन भविष्य किसने देखा है?
आप भारत को करोना मुक्त बनाने में अपनी सक्रिय सहभागिता भी निभायेंगे
वरना बचकर कहां जायेंगे
घरों में कैद हो जायेंगे
तो क्या आप सोचते हैं कि करोना घर में नहीं घुस सकता?
गलतफहमी है आपकी
आपकी सुरक्षा और सतर्कता की कठिन परीक्षा तो बस करोना ही ले रहा है
स्कूलों की परीक्षाएं भले ही ना हो
पर ये समय परीक्षा की घड़ी से जरा भी कम नहीं
जहां हर सांस में परीक्षा है
वो भी जिंदगी वाली बिना किसी तैयारी के
वुहान से चलकर यहां तक आ गया तो
आप सोचते हैं वो आगे नहीं बढ़ेगा
किस दुनिया में हैं आप
कि आपने दुनिया से सम्पर्क ही तोड़ दिया है
या दुनिया ही छोड़ दिया है
भगवान न करे कि मेरे शब्द किसी भी हालत में सच हों
हे परमेश्वर सबकी रक्षा करना!
बस करोना मत करना
यही दुआ हर कोई मांग रहा है
दवा है नहीं,तो क्या करें?
आज हालात एकदम बदल गये हैं
कभी सोचा आपने इसको बदला कौन?
इस पृथ्वी का सबसे ख़तरनाक और भयंकर प्राणी
वह कोई और नहीं बल्कि आप हैं, मैं हूं और हम सब हैं
हम सब जिम्मेदार हैं और चीन सबसे ज्यादा, बहुत ज्यादा
हमने प्रकृति का इतना मईया यशोदा किया है
जिसका वर्णन मेरी लेखनी तो क्या
संसार की सारी की सारी लेखनी भी नहीं कर सकती हैं
फिर हम किस सोच में हैं?
स्थिति सोचनीय है
पहले हमें ये सोचना होगा कि
हमें प्रकृति से लड़ना है
या फिर अपनी स्वार्थ की प्रकृति से
प्रकृति ने हमें नि: शुल्क उपहार दिए
और हमने उस पर अनगिनत प्रहार किए
क्या यही हमारी मानवता का प्रमाण-पत्र है?
हम केवल शरीर से मानव हैं
सोच से तो दानव बन गए हैं बहुत पहले से ही
पर दिखाई अब दे रहा है
इसे कहते हैं
आंख के अंधे और नाम नयनसुख
ऐसे नयनसुख के नयन से सुख गायब है
सिर्फ नयन से ही नहीं मन से भी
सुख की तलाश में हम कहां से कहां आ गए?
जब हमारा ही सुख छीना हुआ है
शांति बेचैन है,मन व्याकुल है
क्या होगा इस बैकल मन का और मानव तन का
अब समय है त्याग का , बलिदान का
आत्मनियंत्रण का, आत्मशुद्धि का
विवेक का, बुद्धि का
मुझे वो गाना याद आया
देखना है ज़ोर कितना बाजुएं कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना……………………….
मैं सोचकर लिख देता हूं
आप देखकर पढ़ लेते हैं
अच्छा है
पर इससे भी ज्यादा अच्छा हो सकता है
सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें
सहयोग करें
अब तो बात मान जाइए मेरे सरकार
कि मरने का इंतजार कर रहे हैं
दूसरों का या अपनों का
कहीं आपने मंगल पर घर तो नहीं खरीद लिया?
मंगल पर जाये या ना जाये
पर भारत के मंगल की कामना अवश्य करें,जरुर करें।
अपनी सुरक्षा,सबकी सुरक्षा पहले सुनिश्चित करें
एक सच्चे भारतीय होने का
भारतीय नागरिक होने का
और देशभक्त होने का
इससे बड़ा प्रमाण कोई और नहीं हो सकता
वक्त आया है तो दिखा दिजिए
करोना के बाप को भी जड़ से मिटा दिजिए
बस यही कहूंगा
और कुछ नहीं
जा रहा हूं फिर आऊंगा
आपको जगाने
और करोना भगाने
अच्छे से अपना और सबका ध्यान रखिएगा
वरना जो हुआ न हो, वो हो ना
याद है ना,करोना
जय हिन्द,जय भारत,वंदेमातरम

पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की आग करोना के हृदय में
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर,छ.ग.

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 2 Comments · 337 Views
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