Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2018 · 1 min read

कहूँ या न कहुँ

आज एक ग़जल कहूँ या न कहुँ ।
तुझे खिलता कमल कहूँ या न कहुँ ।

चाहत-ए-जिंदगी की ख़ातिर ,
दिल-ए-दख़ल कहूँ या न कहुँ ।

बहता दरिया तोड़कर किनारों को ,
उसे आज समंदर कहूँ या न कहुँ ।

छूटता ही रहा एक लफ्ज़ कहीं कोई ,
उस सफ़े को सफ़ा कहूँ या न कहुँ ।

जीता न वो मेरी हार के वास्ते ,
उस जीत को हार कहूँ या न कहुँ ।

चलते रहे जो क़दम मेरे साथ से ,
उस अदा को वफ़ा कहूँ या न कहुँ ।

रह गया तख़ल्लुस जिस ग़जल में मेरा ,
उसे मैं मुकम्मिल ग़जल कहूँ या न कहुँ ।

….. विवेक दुबे”निश्चल”@…

464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
💐प्रेम कौतुक-389💐
💐प्रेम कौतुक-389💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तन्हाई
तन्हाई
नवीन जोशी 'नवल'
हे मन
हे मन
goutam shaw
जब आसमान पर बादल हों,
जब आसमान पर बादल हों,
Shweta Soni
आदरणीय क्या आप ?
आदरणीय क्या आप ?
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
Dr. Narendra Valmiki
आप मुझको
आप मुझको
Dr fauzia Naseem shad
24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*घुटन-सी लग रही है अब, हवा ताजी बहाऍंगे (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*घुटन-सी लग रही है अब, हवा ताजी बहाऍंगे (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
विश्व हुआ है  राममय,  गूँज  सुनो  चहुँ ओर
विश्व हुआ है राममय, गूँज सुनो चहुँ ओर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जीवन चक्र
जीवन चक्र
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जीवन
जीवन
Neeraj Agarwal
Quote...
Quote...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
" from 2024 will be the quietest era ever for me. I just wan
पूर्वार्थ
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
कवि रमेशराज
■ अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय
■ अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय
*Author प्रणय प्रभात*
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
Sandeep Kumar
कुछ पाने के लिए
कुछ पाने के लिए
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्षणिकाए - व्यंग्य
क्षणिकाए - व्यंग्य
Sandeep Pande
हर रात की
हर रात की "स्याही"  एक सराय है
Atul "Krishn"
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
समुद्र इसलिए खारा क्योंकि वो हमेशा लहराता रहता है यदि वह शां
समुद्र इसलिए खारा क्योंकि वो हमेशा लहराता रहता है यदि वह शां
Rj Anand Prajapati
"प्रतिष्ठा"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कहना ही है
कहना ही है
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
माँ की छाया
माँ की छाया
Arti Bhadauria
आपस की दूरी
आपस की दूरी
Paras Nath Jha
Loading...