कहीं लुटती शीला मुन्नी कहीं बदनाम होती है
भरी महफिल में’ जा देखो जाम की शाम होती हैं ।
यहाँ लिव इन रिलेशनशिप की बात कुछ आम होती है।
सुनो फिल्मों ने भी’ तोड़ा है यारों दायरा अपना ,
कहीं लुटती शीला’ मुन्नी कहीं बदनाम होती है ।
—”—-विवेक आस्तिक – – – –