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3 Jul 2019 · 1 min read

कहीं फटे न व्योम अंगार …!

नहीं रहा अब न्याय धर्म , संकुचित पीड़ित सत्य विचार ,
पुण्य धरा हो रही आतंकित आक्रांत, झेल जिहादी बौछार ,
दिशाहीन भ्रष्ट शासनतंत्र किया कैसा प्यारा देश बंटाढार ;
इसलिए बर्बरों मलेच्छों की उन्मादी पशुता साकार !
देख रहा हूं कहीं न फटे व्योम-मही अंगार ;
कवि मन करता है चीत्कार !!!

Language: Hindi
1 Like · 425 Views
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