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23 Jun 2021 · 1 min read

कहीं किसी आसमां पर

कहीं किसी आसमां पर

कहीं किसी आसमां पर लिखा होगा मेरी मंजिल का पता
मैं उसी आसमां को कर लूंगा अपनी मंजिल का हमसफ़र |

बढ़ चलूँगा मैं अपने हौसलों का साथ लिए
एक अदद ख्वाहिश के साथ उस आसमां की ओर |

रोक न पाएगी कोई भी दीवार मुझे बढ़ने से
सकारात्मक सोच को कर लूंगा अपनी धरोहर |

अपने प्रयोजन को अपने मनोयोग का उदेश्य बनाकर
अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो चलूँगा |

मुझे सफल होना ही है इस विचार को कर लूंगा अपनी पूँजी
मुसीबतों , बाधाओं को अपनी राह के मित्र बना लूँगा |

क्यूं कर विश्राम को अपनी राह का रोड़ा बना लूँ
जब तक मंजिल नसीब न हो मुझे अविराम बढना ही होगा |

सफल होने के एहसास को अपनी ऊर्ज़ा स्रोत बनाकर
अपनी कोशिशों को मुझे एक नया आयाम देना ही होगा |

मुझे उम्मीद है मैं अपनी मंजिल एक दिन हासिल कर लूँगा
फिर करूंगा रोशन एक आशियाँ उस आसमां पर जो है मेरी मंजिल का पता |

कहीं किसी आसमां पर लिखा होगा मेरी मंजिल का पता
मैं उसी आसमां को कर लूंगा अपनी मंजिल का हमसफ़र |

बढ़ चलूँगा मैं अपने हौसलों का साथ लिए
एक अदद ख्वाहिश के साथ उस आसमां की ओर ||

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 203 Views
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