Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2021 · 3 min read

कहानी का नाम – काश

कहानी का नाम – काश

टिल्लू बहुत ही उद्दंड किस्म का लड़का था | पढ़ाई में तो उसका मन बिल्कुल ही नहीं लगता था | घर में चार बहनों के बीच में एक भाई था जिसे मां-बाप ने बड़े लाड़ – प्यार से पाला हुआ था | पढ़ाई में मन न लगने के कारण टिल्लू बहुत ही उद्दंड हो गया था | अपने खर्चों के लिए वह घर में छोटी-मोटी चोरियां कर लेता था | घर में जो सब्जियां लानी होती उसे वह आसपास के गांव के खेतों से चुरा कर ले आया करता था और जो पैसे होते थे वह अपनी जेब में रख लिया करता |
घर वालों ने तो बहुत कोशिश की कि टिल्लू पढ़ाई करे | पर टिल्लू का तो मानो पढ़ाई से जन्मजात ही कोई नाता न था | सारा दिन यहां – वहां घूमना , आवारागर्दी करना उसका रोज का काम था | घर से पैसे मांगना जेब खर्च के लिए | पैसे न मिलने पर घर का सामान खरीदने जाता तो उसमें से पैसे बचा लिया करता था | इस बात की जानकारी घर वालों को मिलने पर घर वालों द्वारा उसकी खूब खिंचाई की गयी और इसके बाद उससे घर का सामान मंगवाना भी बंद कर दिया गया | टिल्लू को पैसों की किल्लत महसूस होने लगी | अब घर में रखे पैसों पर वह सेंध मारने लगा | थोड़ी-थोड़ी रकम निकालने की वजह से किसी को उस पर शक नहीं हुआ किंतु जब वह ज्यादा रकम चुराने लगा तो घर के लोगों को पता चल गया | फिर क्या था टिल्लू की ठुकाई भी हुई और उसकी जेब खर्च पर प्रतिबंध लगा दिया | टिल्लू परेशान होकर घर के आसपास के बंद मकानों पर सेंध मारने लगा और छोटी-मोटी चोरियां करने लगा | धीरे-धीरे उसका हौसला बढ़ता गया | इन्हीं बातों में उसका दिल लगा करता था | बाद में उसने दो-तीन बड़ी चोरियां भी कीं लेकिन घर वालों के प्रयास से उसे बचा लिया जाता था |
एक दिन रात को टिल्लू सेंधमारी कर रहा था कि अचानक मकान मालिक व उसके परिवार के लोग आ जाते हैं और घर के भीतर आवाज सुनकर वे सन्न रह जाते हैं और घर का ताला खोलते हैं तो टिल्लू को अंदर पाते हैं फिर क्या था उसके मां-बाप को पूरी जानकारी देते हैं | टिल्लू के मां-बाप माफ़ी दिए जाने की बात कहते हैं और उससे माफी दिलवा देते हैं | इस घटना के बाद टिल्लू को लगने लगा कि शायद आगे भी ऐसे ही माफी मांग लिया करेगा और बच जाया करेगा | वह आगे भी ऐसा करता | आगे भी और चोरियां करते पकड़े जाने पर वह माफी मांग लेता और बच जाता |
मां-बाप भी चाहते थे कि बेटा सुधर जाए किंतु उसके हौसले बढ़ते ही गये | एक दिन टिल्लू गांव के पास के ही एक रिहायशी इलाके में चोरी करने पहुंच गया चोरी करते वक्त घर की मालकिन जाग जाती है और टिल्लू को चोरी करते देख लेती है और जोर-जोर से चोर – चोर की आवाज करने लगती है टिल्लू घबरा जाता है और पास में ही रखे फूलदान को उठाकर घर की मालकिन पर दे मारता है | मालकिन वहीं ढेर हो जाती है | टिल्लू को लगा कि मकान मालकिन मर गयी है टिल्लू घबराकर वहां से भाग जाता है | मकान मालकिन अगले दिन करीब के थाने में पहुंचकर टिल्लू के खिलाफ शिकायत दर्ज करा देती है | अगले दिन पुलिस वाले टिल्लू के घर पहुंच जाते हैं और उसे पकड़कर थाने ले आते हैं | टिल्लू के खूब बहाने बनाने पर भी उसकी एक न चली | जिस घर में एक रात पहले चोरी करने गया था उस घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में उसकी सारी घटना रिकॉर्ड हो गई और टिल्लू के पास अब कहने को कुछ बचा ना था उस पर गैर इरादतन हत्या और चोरी का केस चला और उसे सात साल की सजा सुनाई गई और जुर्माना भी लगाया गया |
टिल्लू बार-बार यही सोच रहा था कि “काश” पहली चोरी के बाद ही उसके माता पिता ने उसे माफ़ी न दिलवाई होती तो आज इतनी बड़ी सजा उसे भोगनी नहीं पड़ती | टिल्लू जेल में सजा काट रहा है और उसके मां-बाप बिना किसी अपराध की सजा भोग रहे हैं उन्हें अफसोस हो रहा था कि “ काश “ उन्होंने टिल्लू को पहली गलती करने पर ही सजा दी होती | उनके लाड़ – प्यार ने ही उसे इस मुकाम पर ला खड़ा किया था |

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 551 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
तालाश
तालाश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पति मेरा मेरी जिंदगी का हमसफ़र है
पति मेरा मेरी जिंदगी का हमसफ़र है
VINOD CHAUHAN
जैसी सोच,वैसा फल
जैसी सोच,वैसा फल
Paras Nath Jha
"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तुम अगर कांटे बोओऐ
तुम अगर कांटे बोओऐ
shabina. Naaz
तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ
Shyam Sundar Subramanian
रिवायत
रिवायत
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
॥ संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
॥ संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कभी- कभी
कभी- कभी
Harish Chandra Pande
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
AJAY AMITABH SUMAN
वर्षा
वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरे राम तेरे राम
मेरे राम तेरे राम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आप खास बनो में आम आदमी ही सही
आप खास बनो में आम आदमी ही सही
मानक लाल मनु
"मुलाजिम"
Dr. Kishan tandon kranti
संचित सब छूटा यहाँ,
संचित सब छूटा यहाँ,
sushil sarna
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की   कोशिश मत करना
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की कोशिश मत करना
Anand.sharma
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
Ravi Prakash
2389.पूर्णिका
2389.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रूठी बीवी को मनाने चले हो
रूठी बीवी को मनाने चले हो
Prem Farrukhabadi
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#लघु_कविता
#लघु_कविता
*Author प्रणय प्रभात*
वहां पथ पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों।
वहां पथ पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों।
Slok maurya "umang"
ये मेरा स्वयं का विवेक है
ये मेरा स्वयं का विवेक है
शेखर सिंह
** पहचान से पहले **
** पहचान से पहले **
surenderpal vaidya
चाय की दुकान पर
चाय की दुकान पर
gurudeenverma198
जिंदगी का सवाल आया है।
जिंदगी का सवाल आया है।
Dr fauzia Naseem shad
दिल ऐसी चीज़ है जो किसी पर भी ग़ालिब हो सकती है..
दिल ऐसी चीज़ है जो किसी पर भी ग़ालिब हो सकती है..
पूर्वार्थ
आरुष का गिटार
आरुष का गिटार
shivanshi2011
चाय
चाय
Dr. Seema Varma
Loading...