कश्मीर की घाटी सी खुशबूदार है हिंदी !!
कश्मीर की घटी सी खुशबूदार है हिंदी ;
हिन्दुस्ता के तहजीब की पहरेदार है हिंदी;
किसी के मांग का सिन्दूर, माथे की बिंदी है;
किसी के लाज का पल्लू, ममता का अंचल है ;
बड़ों में का अदब, छोटों में संस्कार है हिंदी;
कश्मीर की घाटी………………………….!!
हिन्दू की, मुसल्मा की, सदा जान है हिंदी;
बसी रोम-रोम में जो, वो खुमार है हिंदी;
कभी दुर्गा कभी काली, कबी ईद-दिवाली;
कभी दीप की लौ सी, कभी लोबान है हिंदी;
कभी गीता के श्लोक सी,कभी अज़ान है हिंदी;
कश्मीर के घाटी…………………………..!!
कभी तुलसी कभी मीरा, कभी मीर कभी मिर्ज़ा;
कभी मंदिर कभी मस्जिद, कभी द्वारा कभी गिरजा;
जो हर धर्म को है प्यारा, वो ईमान है हिंदी;
हर लब्ज़ पर महकती, इतनी वजनदार है हिंदी;
कश्मीर की घाटी………………………….!!
कभी सलाम-नमस्ते, कभी आदाब अर्ज़ है;
कभी बम बोल कावड़ियों की आवाज़ है हिंदी;
कभी हज के रूप में मिली शबाब है हिंदी;
कभी कृष्ण कभी राम, कभी रसखान है हिंदी;
कश्मीर के घाटी…………………………!!
कभी शान्ति कभी समृधि, कभी बलिदान है हिंदी;
कभी लंगर कभी भंडारे सी निःस्वार्थ है हिंदी;
लिपटी धरा सुसज्जित जिस रंग रूप में;
बस तीन रंग की वो लिबास है हिंदी;
कश्मीर की घाटी………………………!!
लखनवी जी
अवर लेखाधिकारी, भारत संचार नि.लि.
मो:7071497236/7007993387
ईमेल:vishal.verma0501@gmail.com