!!!कवि ह्रदय और करुणा !!!
करुणा मुझे रुलाती
दे दे कर ताने ।
लाख मनाया मन को
पागल फिर भी ना माने ।।
आभास हुआ अतीत का
मिली करुणा ।
वर्तमान को देख सामने
रो दी करुणा ।
भविष्य की सोच ने
मन को यूं ललकारा ।
करुणा ही तेरा जीवन
करुणा से तू क्यों हारा ।।
राजेश व्यास अनुनय