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28 May 2020 · 1 min read

कवि पत्नी की नोंकझोंक

07.02.2020

कवि पत्नी की नोंकझोंक

कवि जी और घराणी में नित नोंकझोंक चलती थी।
अपना घर तुम स्बयं सम्हालो, वो अक्सर कहतीं थी।।
आप गोष्ठियों में सखियों सँग मौज मजा करते हो।
घर आकर भी मोबाइल में सदा व्यस्त रहते हो।
मुझसे घर में भी सीधे मुँह बात नहीं करते हो।
किंतु कामवाली से भी अच्छे से बतियाते हो।।
नहीं नौकरानी, बीबी हूँ, कान खोलकर, सुन लो।
बहुत हो गया अपना घर तुम अपनेआप संभालो।
मुझको कम मत समझो, मैं भी खूब लिखा करती थी।
विद्यालय के कार्यक्रमों में प्रथम रहा करती थी।
मुझको थोड़ी आजादी दो, मैं लिखने लग जाऊँ।
मंचों पर जाकर मैं भी अब थोड़ा नाम कमाऊँ।।
रौद्ररूप उनका देखा, भेजा अपना चकराया।
आत्मसमर्पण करके हमने उनको त्वरित मनाया।
उसी दिवस जाकर उनको स्मार्टफोन दिलवाया।
व्हाट्सएप का संचालन भी, उनको तुरत सिखाया।
नोंकझोंक तो छूटी लेकिन आयी विपदा भारी।
ऑनलाइन वो रहें कृष्ण, पर हम काटें तरकारी।।

श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG – 69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद उ.प्र.
244001
मोबाइल नं.9456641400

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 453 Views
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