Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2017 · 1 min read

कविता

जो मन में है
वह लिखती हूँ
जो लिखती हूँ
वह बोलती हूँ
जो बोलती हूँ
वह सत्य है
जो सत्य है
वह निर्विवाद है
जो निर्विवाद है
वह ईश्वर है
जो ईश्वर है
वह अनश्वर है
जो अनश्वर है
वह मैं हूँ मैं हूँ मैं हूँ
मैं कविता हूँ,
जी हाँ, मैं कविता हूँ।
—————————-
सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Language: Hindi
567 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
****माता रानी आई ****
****माता रानी आई ****
Kavita Chouhan
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Manisha Manjari
*जीता हमने चंद्रमा, खोज चल रही नित्य (कुंडलिया )*
*जीता हमने चंद्रमा, खोज चल रही नित्य (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
Paras Nath Jha
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
पूर्वार्थ
"मेरी दुनिया"
Dr Meenu Poonia
💐प्रेम कौतुक-155💐
💐प्रेम कौतुक-155💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"संवाद"
Dr. Kishan tandon kranti
सब्र का फल
सब्र का फल
Bodhisatva kastooriya
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
Think zara hat ke
Think zara hat ke
*Author प्रणय प्रभात*
फिर क्यूँ मुझे?
फिर क्यूँ मुझे?
Pratibha Pandey
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
VINOD CHAUHAN
शादी होते पापड़ ई बेलल जाला
शादी होते पापड़ ई बेलल जाला
आकाश महेशपुरी
सौतियाडाह
सौतियाडाह
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
" महखना "
Pushpraj Anant
गुरु तेग बहादुर जी जन्म दिवस
गुरु तेग बहादुर जी जन्म दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ईश्वर से शिकायत क्यों...
ईश्वर से शिकायत क्यों...
Radhakishan R. Mundhra
मन की बातें , दिल क्यों सुनता
मन की बातें , दिल क्यों सुनता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
चलो कह भी दो अब जुबां की जुस्तजू ।
चलो कह भी दो अब जुबां की जुस्तजू ।
शेखर सिंह
गुरुवर तोरे‌ चरणों में,
गुरुवर तोरे‌ चरणों में,
Kanchan Khanna
23/133.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/133.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़ेहन से
ज़ेहन से
हिमांशु Kulshrestha
हम पर कष्ट भारी आ गए
हम पर कष्ट भारी आ गए
Shivkumar Bilagrami
तुमसे मिलना इतना खुशनुमा सा था
तुमसे मिलना इतना खुशनुमा सा था
Kumar lalit
एक किताब खोलो
एक किताब खोलो
Dheerja Sharma
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
gurudeenverma198
Loading...