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20 Dec 2017 · 1 min read

कविता

शाश्वत सत्य:- जिंदगी
ये तन
हाड़ मांस का पुतला
क्षण भंगुर
इसके रूप अनेक
सुंदरता कुरूपता
गुण अवगुण सारे
बालपन युवा
किशोर बुजुर्ग
किश्तों में
गुजरता
ये जीवन
कभी यश
कभी अपयश
हानि लाभ
मान अपमान
लालच संतुष्टि
अपना पराया
सच झूंठ
ये सब आँखों देखी
गुजरती जिंदगी
शांति की खोज में
दर दर भटकती
ओझा तांत्रिक
साधु यति संग
गुजरती जिंदगी
तीर्थ धाम
पूजा वंदना
यज्ञ हवन
करते
पापो का प्रायच्छित
करते गुजरती जिंदगी
अपना परिवार
कुटुंब कबीला
रिश्ते नाते
निभाकर
सुख वैभव के
ढेरो साधन जुटा
भागती दौड़ती
गुजरती जिंदगी
क्या यही है
जिंदगी?
कवि राजेश पुरोहित

Language: Hindi
378 Views
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