Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2017 · 2 min read

कविता

फैंके हुए सिक्के ….

फैंके हुए सिक्के हम उठाते नहीं कभी |
अपनी खुद्दरियों को गिरते नहीं कभी ||

खुद के बड़ा होने का जिनको गरूर हो |
महफिलों में उनकी हम जाते नहीं कभी ||

उम्र के तजुर्बों से इक बात सीखी है |
दिल के छालों को हम दिखाते नहीं कभी ||

कुछ दोस्त हैं हमारे जिनसे हार जाते हैं |
हुनर जीतने का उनको दिखाते नहीं कभी ||

सुहाता नहीं है हमको किसी से उलझना |
बातों के जाल हम बनाते नहीं कभी ||

बेशक आसमां में बेहिसाब खतरे हैं |
उड़ते परिंदों को हम डराते नहीं कभी ||

इक रूहानी ताकत हमसे लिखवाती है |
यह राज दोस्तों हम बताते नहीं कभी ||

करने वाला और है यही सोच कर दर्द |
एहसान दोस्तों को गिनाते नहीं कभी ||

अशोक दर्द

बर्फ और पहाड़ की कविता ……

ऊँचे देवदारों की फुनगियों पर फिर
सफेद फाहे चमकने लगे हैं
सफेद चादर में लिपटे पहाड़ फिर दमकने लगे हैं |

पगडंडियों पर पैरों की फच फच से
उभर आये हैं गहरे काले निशान
दौड़ती बतियाती बस्तियां हो गई हैं फिर से खामोश गुमसुम वीरान |

टपकती झोंपड़ियों और फटे कम्बलों
के बीच से निकलने लगी हैं ठंडी गहरी सिसकारियां
भीगे मौजे और फटे जूते करने लगे हैं जैसे युद्ध की तैयारियां |

फिर भी सब कुछ ठंडा ठंडा नहीं है यहाँ
कुछ हाथों में दस्ताने भी हैं और बदन पे गर्म कोट भी
फैंक रहे हैं वे एक दूसरे पर बर्फ के गोले
खिंचवा रहे हैं एक दूसरे से चिपक कर फोटो |

वाच रहे हैं बर्फ का महात्म्य
सिमट कर एक दूसरे की बाहों में होटलों के गर्म कमरों में
काफी की चुस्कियां लेते हुए |

गाँव में तो सिमट गया है पहाड़ चूल्हों के भीतर
ठेकेदार का काम बंद है बर्फ के पिघलने तक
गरीबु कभी ऊपर बादलों की तरफ देखता है तो कभी अपने कनस्तर में आटा
उसे तो बर्फ में कोई सौन्दर्य नजर नहीं आता |

इसमें सौन्दर्य उन्हें दीखता है जिनके कनस्तर आटे से भरे पड़े हैं
पैरों में गर्म मौजे हैं बदन पे मंहगे कोट और गले में विदेशी कैमरे
वे बर्फ में फोटो भी खींचते हैं और इसके सौन्दर्य पर कविताएँ भी लिखते हैं |

श्वेत धवल पहाड़ सुंदर तो दिखते हैं परन्तु दूर से
पास आओ तो इनकी दुर्गमता व कठिनता बड़ी विशाल है
यहाँ पीठ पर पहाड़ को धोना पड़ता है
बर्फ के गिरने से बोझ और भी बढ़ जाता है
पहाड़ पर जीने के लिए पहाड़ हो जाना पड़ता है |

अशोक दर्द

आओ कृष्णा
पुनः धरा पर आओ कृष्णा |
धर्म ध्वजा फहराओ कृष्णा ||

मोहग्रस्त हुआ यह जग सारा |
रूप विराट दिखाओ कृष्णा ||

ज्ञान योग कर्म भक्ति के |
पुनः अर्थ समझाओ कृष्णा ||

जीवन जीना बेहतर कैसे |
गीता सार सुनाओ कृष्णा ||

कौरव दल में हो रही वृद्धि |
अपना चक्र चलाओ कृष्णा ||

कंस दुशासन मिटाने को |
पांचजन्य बजाओ कृष्णा ||

मात यशोदा की गोदी में
मंद मंद मुस्काओ कृष्णा ||

जग में फिर से रचो क्रीड़ा |
माखन चोर कहाओ कृष्णा ||

पाप ताप सब हर लो जग के |
सबको दर्श दिखाओ कृष्णा ||

मेरे सिर पे हाथ रखो और |
जो चाहो लिखवाओ कृष्णा ||

अशोक दर्द

Language: Hindi
1239 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#परिहास-
#परिहास-
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
अनिल कुमार
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सब अपनो में व्यस्त
सब अपनो में व्यस्त
DrLakshman Jha Parimal
इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।
इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।
Taj Mohammad
कभी ज्ञान को पा इंसान भी, बुद्ध भगवान हो जाता है।
कभी ज्ञान को पा इंसान भी, बुद्ध भगवान हो जाता है।
Monika Verma
कविता
कविता
sushil sarna
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
विषय:- विजयी इतिहास हमारा।
विषय:- विजयी इतिहास हमारा।
Neelam Sharma
💐अज्ञात के प्रति-35💐
💐अज्ञात के प्रति-35💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
*अभी तो घोंसले में है, विहग के पंख खुलने दो (मुक्तक)*
*अभी तो घोंसले में है, विहग के पंख खुलने दो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हिन्दी ग़ज़लः सवाल सार्थकता का? +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़लः सवाल सार्थकता का? +रमेशराज
कवि रमेशराज
*मिट्टी की वेदना*
*मिट्टी की वेदना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बेरोज़गारी
बेरोज़गारी
Shekhar Chandra Mitra
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
Anil chobisa
12 fail ..👇
12 fail ..👇
Shubham Pandey (S P)
थक गये चौकीदार
थक गये चौकीदार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
हम छि मिथिला के बासी
हम छि मिथिला के बासी
Ram Babu Mandal
सारा सिस्टम गलत है
सारा सिस्टम गलत है
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चाहती हूँ मैं
चाहती हूँ मैं
Shweta Soni
बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
Kanchan Khanna
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
Kshma Urmila
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हुनर
हुनर
अखिलेश 'अखिल'
कर्मयोगी
कर्मयोगी
Aman Kumar Holy
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
Manisha Manjari
Loading...