Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2019 · 1 min read

कविता

रोला छंद
मात्रा विधान- 24 मात्रिक छंद, 11 ,13 पर यति, विषम चरण के अंत में गुरु लघु, सम चरण के अंत में 2 गुरु

“सृष्टि को आन बचाओ”

देवलोक की देन सृष्टि अद्भुत कहलाती।
करुण भाव से लसित रूप कमनीय दिखाती।
स्वार्थ-सिद्धि में ग्रसित मनुज जब भूला जीना।
सेवाभाव बिसार सृष्टि का वैभव छीना।।

दिव्य रश्मि छवि लाल धरा की माँग सजाती।
ललित लहर से लिपट रक्तमणि गरिमा पाती।
झुकी धरा पर मौन सुनहली लट बिखराए।
कानन राजित विटप उल्लसित हो हरषाए।।

ले प्रभात उन्माद हरित तरु शोभा पाते।
रंग-बिरंगे विहग उड़ानें भर इतराते।
नवजीवन दे भोर करे तन-मन सुखकारी।
मिटा सहज आलस्य बनी औषधि गुणकारी।।

शीतल, मलय समीर शाख किसलय दुलराता।
तटिनी छेड़ तरंग वारि पर नेह लुटाता।
पहुँच अरहरी खेत फसल का शीश झुकाए।
देवालय के शीर्ष चढ़ा ध्वज मान बढ़ाए।।

उच्च शिखर से उतर रही बह शीतल धारा।
सरिता रविमुख बिम्ब चूमती नभतल प्यारा।
सुख-दुख तटिनी कूल कर्म का भान कराती।
कोमल,निश्छल भाव तरंगित महिमा गाती।।

स्वर्ग सृष्टि का दहन मनुज कर दर्प दिखाता।
संहारक कर कर्म नपुंसक गौरव पाता।
मर्माहत है लोक सभ्यता वैभव खोती।
भौतिकवादी सोच देखकर वसुधा रोती।।

व्यथा यही है विटप काट माली सुख पाता।
दूषित पर्यावरण मनुज कर स्वार्थ निभाता।
दो दाता अभिदान मनुज को सीख सिखाओ।
सुन आहें असहाय सृष्टि को आन बचाओ।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र..)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
1 Like · 233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
.......रूठे अल्फाज...
.......रूठे अल्फाज...
Naushaba Suriya
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
श्याम सिंह बिष्ट
Them: Binge social media
Them: Binge social media
पूर्वार्थ
याद आए दिन बचपन के
याद आए दिन बचपन के
Manu Vashistha
सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे
सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे
Shivkumar Bilagrami
वाणी वंदना
वाणी वंदना
Dr Archana Gupta
तुम मुझे देखकर मुस्कुराने लगे
तुम मुझे देखकर मुस्कुराने लगे
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
■ हुडक्चुल्लू ..
■ हुडक्चुल्लू ..
*Author प्रणय प्रभात*
खुदकुशी नहीं, इंकलाब करो
खुदकुशी नहीं, इंकलाब करो
Shekhar Chandra Mitra
*महामूरख की टोपी( हास्य कुंडलिया)*
*महामूरख की टोपी( हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कविता-
कविता- "हम न तो कभी हमसफ़र थे"
Dr Tabassum Jahan
प्रिये
प्रिये
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"राष्टपिता महात्मा गांधी"
Pushpraj Anant
"समझ का फेर"
Dr. Kishan tandon kranti
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ना आप.. ना मैं...
ना आप.. ना मैं...
'अशांत' शेखर
मन से हरो दर्प औ अभिमान
मन से हरो दर्प औ अभिमान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
Jannat ke khab sajaye hai,
Jannat ke khab sajaye hai,
Sakshi Tripathi
कविता तुम क्या हो?
कविता तुम क्या हो?
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
बुनते हैं जो रात-दिन
बुनते हैं जो रात-दिन
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ऐसा क्यों होता है..?
ऐसा क्यों होता है..?
Dr Manju Saini
*हिंदी दिवस*
*हिंदी दिवस*
Atul Mishra
मैं
मैं
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
gurudeenverma198
याद आते हैं
याद आते हैं
Chunnu Lal Gupta
Loading...