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30 Jul 2019 · 1 min read

मैना

सुहानी शाम है आई l
पिया की याद गहराई ll
सजल होते रहे नैना l
कहीं खोयी रही मैना ll

बड़ा रंगीन था सावन l
सजन की प्रीति मनभावन ll
कभी मुझसे नहीं रूठे l
लगे मुझको नहीं झूठे ll

विपद जब एक दिन आई l
दुखों को साथ में लाई ll
शिकारी जाल फैलाया l
चलाकर तीर हर्षाया ll

हुए पिय तीर से घायल l
बिलखती रह गयी पायल ll
तड़पकर प्राण पिय त्यागे l
कभी फिर वे नहीं जागें ll

उदासी है निकेतन में ll
भरी है वेदना मन में ll
लगे अब बोझ है जीवन l
शिथिल होता रहे तन – मन ll

साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू ‘
आंध्र प्रदेश
स्वरचित _मौलिक

Language: Hindi
1 Like · 353 Views
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