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30 Aug 2020 · 1 min read

कविता

जलियाँवाला बाग
चलिये मान लिया की बेहद क्रूर था जनरल डायर
मगर वो गोलियाँ चलाने वाले क्या नहीं थे कायर ?
क्या निहत्थे मासूम लोगों को उन्होँने नहीं देखा ?
क्या उनके दिल में ज़रा सा भी रहम नहीं पनपा ?
बस एक गोली काफी था डायर को मारने के लिए
क्या कोई नहीं था गलती उसकी सुधारने के लिए?
काश कोई होता अगर भगत जैसा माई का लाल
कसम से कहता हूँ कि नहीं हमें होता आज मलाल।
बच जाती तब शायद हजारों मासूम लोगों की जानें
न होता वो जलियाँवाला बाग हत्याकांड आप मानें।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
4 Likes · 255 Views
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