Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2018 · 1 min read

कविता

“प्यासे अधर”
सदियों से प्यासे अधरों पर
मधु मुस्कान कहाँ से लाऊँ,
मूक व्यथा की पौध लगा कर
सुरभित पुष्प कहाँ से पाऊँ?

पीड़ा से मर्माहत मन को
कोकिल गान सुनाऊँ कैसे,
अंधकारमय जीवन मेरा
दीप की लौ जलाऊँ कैसे?

जीवन की इस धूप छाँव में
नयन नीर क्यों बरस रहा है,
अगन लगी जब दरिया में तो
नेह मेघ क्यों तरस रहा है?

व्यथित प्रेम की विकल वेदना
ग़ज़ल गीत में गाऊँ कैसे,
वीणा के टूटे तारों से
मृदु झंकार सुनाऊँ कैसे?

पतझड़ में शोकाकुल आहत
प्यासा सावन अब तरस गया।
प्रीत लगा जब निष्ठुर बादल
परदेसी भू पर बरस गया।।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना” महमूरगंज, वाराणसी।
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
Kbhi asman me sajti bundo ko , barish kar jate ho
Kbhi asman me sajti bundo ko , barish kar jate ho
Sakshi Tripathi
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हिन्दी दोहा- बिषय- कौड़ी
हिन्दी दोहा- बिषय- कौड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हाथी के दांत
हाथी के दांत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
न चाहिए
न चाहिए
Divya Mishra
#गौरवमयी_प्रसंग
#गौरवमयी_प्रसंग
*Author प्रणय प्रभात*
दिनांक:- २४/५/२०२३
दिनांक:- २४/५/२०२३
संजीव शुक्ल 'सचिन'
गोधरा
गोधरा
Prakash Chandra
दवा के ठाँव में
दवा के ठाँव में
Dr. Sunita Singh
मां
मां
Ankita Patel
माँ
माँ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
"प्रीत-बावरी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
रूह पर लिखे अशआर
रूह पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
*यदि हम खास होते तो तेरे पास होते*
*यदि हम खास होते तो तेरे पास होते*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
Phool gufran
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
किसी की छोटी-छोटी बातों को भी,
किसी की छोटी-छोटी बातों को भी,
नेताम आर सी
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
विडम्बना और समझना
विडम्बना और समझना
Seema gupta,Alwar
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
पूर्वार्थ
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
Harminder Kaur
ग़ज़ल - इश्क़ है
ग़ज़ल - इश्क़ है
Mahendra Narayan
*जागा भारत चल पड़ा, स्वाभिमान की ओर (कुंडलिया)*
*जागा भारत चल पड़ा, स्वाभिमान की ओर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
महक कहां बचती है
महक कहां बचती है
Surinder blackpen
बचपन में थे सवा शेर
बचपन में थे सवा शेर
VINOD CHAUHAN
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
ग़ज़ल/नज़्म - ये प्यार-व्यार का तो बस एक बहाना है
ग़ज़ल/नज़्म - ये प्यार-व्यार का तो बस एक बहाना है
अनिल कुमार
//  जनक छन्द  //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...