Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2020 · 1 min read

कविता

होगा कब मेरे जीवन का भोर,
कब फैलेगी सुख-शांति युक्त इंजोर।
थी जो अपनी छाया,प्रतिक्षण रहती साथ,
चली वह भी ,देख अंधियारी में छोड़ ।
उपकार किया था, जिस विषधर पर,
दूध संसर्ग में, विष और बढा पुरजोर ।
फणकाढे विष अहंकार से, फुफकार से,
यामिनी कीश्यामलता को किया और घनघोर ।
सीमाबंध प्राकृतिक संपदा पर होती है असीम विपदा ,
दुर्बल जीवन को देता झकझोर।
रात्रि में रतचर का होता युंही पहरा,अंधियारा से नाता गहरा,
दानव हुंकार से कांप उठी अवनी भी जोर ।
एक बेचारी,भगजोगनी रानी,
अथक प्रयास से ढूंढ रही अंधियारा तोड़ ।
पर इस अमानवीय संसार में,
धूमिल हो रहा हर प्रयत्न जोड़ ।
धैरज की भी जल रही चिता, अंग अंग ले रहे विदा,
खंड खंड विखर रहा हृदय का कोर ।
कौन मीन थामे बन खिबैया,है प्रलय में उबडूब नैया,
हर चेतन अचेतन का हुआ तोड़ममोड़।
होगा कब मेरे जीवन का भोर,
कब फैलेगी सुख-शांति युक्त इंजोर ।
उमा झा

Language: Hindi
16 Likes · 6 Comments · 365 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all
You may also like:
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
खामोश रहना ही जिंदगी के
खामोश रहना ही जिंदगी के
ओनिका सेतिया 'अनु '
2741. *पूर्णिका*
2741. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"इन्तेहा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*ऐसी हो दिवाली*
*ऐसी हो दिवाली*
Dushyant Kumar
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
Manoj Mahato
वक़्त की फ़ितरत को
वक़्त की फ़ितरत को
Dr fauzia Naseem shad
दाता
दाता
निकेश कुमार ठाकुर
आरती करुँ विनायक की
आरती करुँ विनायक की
gurudeenverma198
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं (हिंदी गजल)*
*हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
नम आँखे
नम आँखे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
// दोहा पहेली //
// दोहा पहेली //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
Phool gufran
यूज एण्ड थ्रो युवा पीढ़ी
यूज एण्ड थ्रो युवा पीढ़ी
Ashwani Kumar Jaiswal
खोया हुआ वक़्त
खोया हुआ वक़्त
Sidhartha Mishra
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
Pooja Singh
कहानी ( एक प्यार ऐसा भी )
कहानी ( एक प्यार ऐसा भी )
श्याम सिंह बिष्ट
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
ज़ीस्त के तपते सहरा में देता जो शीतल छाया ।
ज़ीस्त के तपते सहरा में देता जो शीतल छाया ।
Neelam Sharma
मन
मन
Sûrëkhâ Rãthí
ग़लत समय पर
ग़लत समय पर
*Author प्रणय प्रभात*
जरूरत
जरूरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
Anand Kumar
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
Ram Krishan Rastogi
अरमान
अरमान
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Loading...