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19 Jan 2017 · 1 min read

कविता शीर्षक मेरी ऊँगली पकड़कर बेटा मुझे चलाने वाला

आया कोई मुझको भी तो ,सोती रातों में जगाने वाला
मेरे बांगो में वो कोयल सा नन्हा पंछीे गुनगुनाने वाला

गम की रातें भी ढल जाती मेरी उसकी एक झलक से
सांसो का एक एक तार मेरे दिल का वो बजाने वाला

आसमाँ तू रखना जरा अब अपने चाँद को संभाल कर
आरमनों का वो दिया है आँखों में सपनें सजाने वाला

दिल करें लूटा दूँ उस पर अब प्यार मैं अपना बेशुमार
आँखों के आसमाँ पर सूरज से वो है जगमगाने वाला

बेटा तो होता सबके माँ बाप के बुढापे की एक लाठी
मेरी ऊँगली पकड़ के मुझको बेटा आज चलाने वाला

Language: Hindi
5046 Views
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