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19 Jan 2017 · 1 min read

कविता शीर्षक बीज डाले बेटो के पर बेटी तू उग आये

तुझसे है अनोखा रिश्ता मन को ये हम समझाये
हमने बीज डाले बेटो के थे पर बेटी तू उग आये

कड़वा सोच बोल रहा पर तू नफरत न करना बेटी
छोटा सा जीवन है मुआफ़ करना हमको ये बताये

आसमाँ गरजे तो धरती माँ की प्यास बुझे है बेटी
मेरे अँधेरे जीवन में तू तारा बनकर बेटी जगमगाये

खिली मेरे घर आँगन में तू भी तो एक कली सी है
ख़ुदा करे की तेरे अल्हड कदम सम्भल जरा जाये

तेरे कमजोर कदमो पर मेरी सोच अनुभवी बिटिया
एक तेरे आने से मेरा कलुषित घर पवित्र कहलाये

तू चाँद सूरज सी बन कर भूलो को रस्ता दिखाना
माँ बाप का आशीर्वाद सदा तुझपे सहारा बन आये

खेलता बचपन काफूर तेरा आई तुझ पे जवानी तो
शरारती हंसी संग अल्हड़ अरमान मेरी चिंता बडाये

गर तुझको मंजूर मेरे खुदा तो एक इल्तिज़ा मान ले
मेरे घर आँगन में तू बेटीयो के ही सदा फूल खिलाये

देख आज जमाने की पैमाईश पर मेरी इज्जत लगी
हम बेटी वालो की पगड़ी को खुदा तू रखना बचाये

अशोक की ले लेना तू चाहे जान पर बेखबर सुन ले
आरजू इतनी ही बेटियां कल्पना से ऊँची उड़ जाये

1 Like · 1 Comment · 693 Views
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