कविता ( कोरोना मिर्ची )
सयाने की सीख
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बिना काम के घर से बाहर,
सिर्फ घूमने मत जाओ ।
मास्क लगाकर ढक लो चहरा,
जरा नहीं गफलत लाओ ।
यह बीमारी कोरोना की ,
छुपे रूप में ठगती है ।
बात हमारी सुनकर तुमको,
दिल में मिर्ची लगती है ।
लिया लपेट वायरस ने तो ,
सांस निकलना मुश्किल है ।
तेल खत्म कर दे साहस का
दीपक जलना मुश्किल है ।
कब कैसे घुस जाय कहाँ से,
हरदम रहता खटका है ।
घुसे कहीं से लेकिन सीधा,
गले में जाके अटका है ।
बैड डाक्टर वेंटिलेटर ,
काम न करे दवा दारू।
सांस सांस में लूट रहे हैं,
पल पल पर नारू खारू ।
ऐसा मौका मत आने दो,
बनो मुसीबत के ब्रेकर ।
अगर हो गया कहाँ फिरोगे,
कोरोना को ले लेकर ।
दिखती नहीं आग पीड़ा की,
भीतर भीतर दगती है ।
सच कहते हैं किंतु तुम्हारे ,
दिल में मिर्ची लगती है ।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश