Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2017 · 2 min read

कविताएँ

फैंके हुए सिक्के ….

फैंके हुए सिक्के हम उठाते नहीं कभी |
अपनी खुद्दरियों को गिरते नहीं कभी ||

खुद के बड़ा होने का जिनको गरूर हो |
महफिलों में उनकी हम जाते नहीं कभी ||

उम्र के तजुर्बों से इक बात सीखी है |
दिल के छालों को हम दिखाते नहीं कभी ||

कुछ दोस्त हैं हमारे जिनसे हार जाते हैं |
हुनर जीतने का उनको दिखाते नहीं कभी ||

सुहाता नहीं है हमको किसी से उलझना |
बातों के जाल हम बनाते नहीं कभी ||

बेशक आसमां में बेहिसाब खतरे हैं |
उड़ते परिंदों को हम डराते नहीं कभी ||

इक रूहानी ताकत हमसे लिखवाती है |
यह राज दोस्तों हम बताते नहीं कभी ||

करने वाला और है यही सोच कर दर्द |
एहसान दोस्तों को गिनाते नहीं कभी ||

अशोक दर्द

बर्फ और पहाड़ की कविता ……

ऊँचे देवदारों की फुनगियों पर फिर
सफेद फाहे चमकने लगे हैं
सफेद चादर में लिपटे पहाड़ फिर दमकने लगे हैं |

पगडंडियों पर पैरों की फच फच से
उभर आये हैं गहरे काले निशान
दौड़ती बतियाती बस्तियां हो गई हैं फिर से खामोश गुमसुम वीरान |

टपकती झोंपड़ियों और फटे कम्बलों
के बीच से निकलने लगी हैं ठंडी गहरी सिसकारियां
भीगे मौजे और फटे जूते करने लगे हैं जैसे युद्ध की तैयारियां |

फिर भी सब कुछ ठंडा ठंडा नहीं है यहाँ
कुछ हाथों में दस्ताने भी हैं और बदन पे गर्म कोट भी
फैंक रहे हैं वे एक दूसरे पर बर्फ के गोले
खिंचवा रहे हैं एक दूसरे से चिपक कर फोटो |

वाच रहे हैं बर्फ का महात्म्य
सिमट कर एक दूसरे की बाहों में होटलों के गर्म कमरों में
काफी की चुस्कियां लेते हुए |

गाँव में तो सिमट गया है पहाड़ चूल्हों के भीतर
ठेकेदार का काम बंद है बर्फ के पिघलने तक
गरीबु कभी ऊपर बादलों की तरफ देखता है तो कभी अपने कनस्तर में आटा
उसे तो बर्फ में कोई सौन्दर्य नजर नहीं आता |

इसमें सौन्दर्य उन्हें दीखता है जिनके कनस्तर आटे से भरे पड़े हैं
पैरों में गर्म मौजे हैं बदन पे मंहगे कोट और गले में विदेशी कैमरे
वे बर्फ में फोटो भी खींचते हैं और इसके सौन्दर्य पर कविताएँ भी लिखते हैं |

श्वेत धवल पहाड़ सुंदर तो दिखते हैं परन्तु दूर से
पास आओ तो इनकी दुर्गमता व कठिनता बड़ी विशाल है
यहाँ पीठ पर पहाड़ को धोना पड़ता है
बर्फ के गिरने से बोझ और भी बढ़ जाता है
पहाड़ पर जीने के लिए पहाड़ हो जाना पड़ता है |

अशोक दर्द

Language: Hindi
294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नरेंद्र
नरेंद्र
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जाने वाले का शुक्रिया, आने वाले को सलाम।
जाने वाले का शुक्रिया, आने वाले को सलाम।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
आर.एस. 'प्रीतम'
"नवसंवत्सर सबको शुभ हो..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
■ लघु व्यंग्य कविता
■ लघु व्यंग्य कविता
*Author प्रणय प्रभात*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
Subhash Singhai
उगते विचार.........
उगते विचार.........
विमला महरिया मौज
*असर*
*असर*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
- दीवारों के कान -
- दीवारों के कान -
bharat gehlot
लेखनी चले कलमकार की
लेखनी चले कलमकार की
Harminder Kaur
3028.*पूर्णिका*
3028.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
शेखर सिंह
ओ मेरी सोलमेट जन्मों से - संदीप ठाकुर
ओ मेरी सोलमेट जन्मों से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
मोबाइल
मोबाइल
लक्ष्मी सिंह
उफ ये सादगी तुम्हारी।
उफ ये सादगी तुम्हारी।
Taj Mohammad
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"शहर की याद"
Dr. Kishan tandon kranti
शब्द
शब्द
Neeraj Agarwal
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
DrLakshman Jha Parimal
बस हौसला करके चलना
बस हौसला करके चलना
SATPAL CHAUHAN
उदास नहीं हूं
उदास नहीं हूं
shabina. Naaz
चाय सिर्फ चीनी और चायपत्ती का मेल नहीं
चाय सिर्फ चीनी और चायपत्ती का मेल नहीं
Charu Mitra
तीन मुट्ठी तन्दुल
तीन मुट्ठी तन्दुल
कार्तिक नितिन शर्मा
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पिया मिलन की आस
पिया मिलन की आस
Kanchan Khanna
💐अज्ञात के प्रति-3💐
💐अज्ञात के प्रति-3💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*धन्य-धन्य वह जीवन जो, श्री राम-नाम भज जीता है 【मुक्तक】*
*धन्य-धन्य वह जीवन जो, श्री राम-नाम भज जीता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
मैं निकल पड़ी हूँ
मैं निकल पड़ी हूँ
Vaishaligoel
Loading...