Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2021 · 1 min read

कल्पना

मनुष्य कल्पना प्रिय होते है ,
किसी सुन्दर तस्वीर की कल्पना करें ,
तो चित्रकार बन जाते हैं।
किसी भावपूर्ण गीत / कविता की कामना करें ,
तो गीतकार/ कवि बन जाते हैं।
किसी सुन्दर मूर्ति की कल्पना करें ,
तो शिल्पकार बन जाते हैं ।
अपने परिश्रम से और रचनात्मक बुद्धि कौशल
से कलाकार तो अवश्य बन जाते है।
भगवान भी कल्पना प्रिय है तभी उन्होंने ,
कल्पना की थी एक सुंदर और सशक्त जीव की ,
तो मनुष्य को बनाया।
मगर मनुष्य मनुष्य जैसा क्यों नहीं बनता ?
मनुष्य एक आदर्श मनुष्य की कल्पना
क्यों नहीं करता ?
किसी के दुख या पीड़ा को देखकर ,
पीड़ा / दुख महसूस क्यों नहीं करता ?
क्यों पीड़ित / दुखी मनुष्य या अन्य जीव के
स्थान को अपनी कल्पना से नहीं बदल सकता ?
यदि वो यह कल्पना करे की” इसके स्थान पर मैं होता तो क्या करता” ?
यदि वो यह कल्पना करे ,
इस धरती पर हर मनुष्य और
अन्य जीवों का जीवन सुखी हो जाए ।
तो क्या वो एक सुंदर मन वाला ,
आदर्श मनुष्य न बन जाएगा ।
काश ! वो सूनले बस एक बार अपने जमीर की ,
तब यह सबसे सुंदर तस्वीर होगी जगत की ।
सच मानिए ! वही होगा सबसे महान कलाकार ,
जो एक आदर्श मनुष्य कहलाएगा ।
जिसकी सुन्दर कल्पना से धरती साक्षात
स्वर्ग सी सुन्दर बन जायेगी ।
तब ही भगवान की भी सारी कल्पनाएं और उनकी रचनाएं सार्थक हो जाएगी ।
काश ! ऐसा हो जाए मनुष्य कल्पना करे ,
मानवता की ।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 606 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
I would never force anyone to choose me
I would never force anyone to choose me
पूर्वार्थ
"तापमान"
Dr. Kishan tandon kranti
जब साथ तुम्हारे रहता हूँ
जब साथ तुम्हारे रहता हूँ
Ashok deep
पर्वत दे जाते हैं
पर्वत दे जाते हैं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
सत्य कुमार प्रेमी
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
जीवन का सच
जीवन का सच
Neeraj Agarwal
आज वक्त हूं खराब
आज वक्त हूं खराब
साहित्य गौरव
*भर कर बोरी रंग पधारा, सरकारी दफ्तर में (हास्य होली गीत)*
*भर कर बोरी रंग पधारा, सरकारी दफ्तर में (हास्य होली गीत)*
Ravi Prakash
मजे की बात है
मजे की बात है
Rohit yadav
सन्देश खाली
सन्देश खाली
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
(6)
(6)
Dr fauzia Naseem shad
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
Kanchan Alok Malu
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
बदल कर टोपियां अपनी, कहीं भी पहुंच जाते हैं।
बदल कर टोपियां अपनी, कहीं भी पहुंच जाते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेहनत ही सफलता
मेहनत ही सफलता
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
💐प्रेम कौतुक-556💐
💐प्रेम कौतुक-556💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुलगते एहसास
सुलगते एहसास
Surinder blackpen
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
Shweta Soni
मित्रता का मोल
मित्रता का मोल
DrLakshman Jha Parimal
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,
Manoj Mahato
बचपन-सा हो जाना / (नवगीत)
बचपन-सा हो जाना / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
खोजें समस्याओं का समाधान
खोजें समस्याओं का समाधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चुनाव
चुनाव
Mukesh Kumar Sonkar
2470.पूर्णिका
2470.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
स्त्रीलिंग...एक ख़ूबसूरत एहसास
स्त्रीलिंग...एक ख़ूबसूरत एहसास
Mamta Singh Devaa
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
जगदीश शर्मा सहज
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...